मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश की। इसकी मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:
- नीतिगत ब्याज दर (रेपो) 6.50 प्रतिशत से घटाकर 6.25 प्रतिशत की गई।
- रिवर्स रेपो दर भी इसी अनुपात में कम होकर 6 प्रतिशत रह गई।
- बैंक दर, सीमांत स्थायी दर 6.5 प्रतिशत रही।
- नकद आरक्षित अनुपात 4 प्रतिशत पर बरकरार।
- मार्च तिमाही के लिए मुख्य मुद्रास्फीति (हेडलाइन) अनुमान को कम कर 2.8 प्रतिशत किया गया।
- अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 3.2 से 3.4 प्रतिशत तथा तीसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान।
- जीडीपी वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में बढ़कर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जो 2018-19 में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल-सितंबर के दौरान वृद्धि दर 7.2 से 7.4 प्रतिशत तथा तीसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान।
- तेल कीमत परिदृश्य अस्पष्ट, व्यापार तनाव का वैश्विक वृद्धि संभावना पर होगा असर।
- केंद्रीय बजट प्रस्तावों से खर्च योग्य आय बढ़ेगी जिससे मांग को बढ़ावा मिलेगा।
- एकबार में थोक जमा परिभाषा को संशोधित किया गया। अब एक करोड़ रुपये के बजाए एक बार में 2 करोड़ रुपए अथवा इससे अधिक की जमा इस श्रेणी में आएगी।
- बड़ी श्रेणियों की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में तालमेल को लेकर दिशानिर्देश जारी किया जाएगा।
- रुपए के मूल्य में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए विदेशी रुपया बाजार के लिए कार्य बल गठित करने का प्रस्ताव।
- कंपनी बांड बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश पर पाबंदी हटी।
- भुगतान के लिए मंच उपलब्ध कराने की सेवा देने वाले तथा भुगतान संग्राहक के लिए परिचर्चा पत्र लाया जाएगा।
- बिना गारंटी के कृषि कर्ज देने की सीमा 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.60 लाख रुपए की गई। इससे छोटे एवं सीमांत किसानों को मदद मिलेगी।
- कृषि कर्ज की समीक्षा के लिए कार्यकारी समूह का गठन।
- मौद्रिक नीति समिति के चार सदस्यों ने नीतिगत दर में कटौती के पक्ष में तथा दो ने यथास्थिति बनाए रखने को लेकर मत दिया।
- समिति के दो सदस्यों चेतन घाटे तथा विरल आचार्य यथास्थिति बनाए रखने के पक्ष में थे।
- मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 2-4 अप्रैल को होगी।