नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि ये नोटों से भी फैल सकता है। नोटों का लेन-देन करने पर कोरोना वायरस आपके शरीर के अंदर पहुंच सकता है। अगर किसी कोरोना संक्रमित शख्स ने नोट छुए हैं और फिर कोई और छूता है तो कोरोना वायरस आपको अपनी चपेट में ले सकता है, इसलिए सावधान रहें।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने रविवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पुष्टि की है कि करंसी नोट कोरोना के संभावित वाहक हो सकते हैं। संस्था ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकारी प्रोत्साहन दिए जाने की मांग की है। इससे पहले 9 मार्च को सीएआईटी ने केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या करंसी नोट बैक्टीरिया और वायरस के वाहक हैं या नहीं।
कन्फेडरेशन ने एक बयान में कहा है कि मंत्रालय से यह पत्र आरबीआई को भेज दिया गया था। उसने सीएआईटी को संकेत देते हुए जवाब दिया था कि नोट बैक्टीरिया और वायरस के वाहक हो सकते हैं, जिसमें कोरोना वायरस भी शामिल है। लिहाजा, इससे बचने के लिए डिजिटल भुगतान का अधिक से अधिक उपयोग किया जाना चाहिए।
पत्र में आरबीआई ने आगे कहा, "कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए जनता विभिन्न ऑनलाइन डिजिटल चैनलों जैसे मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग, क्रेडिट और डेबिट कार्ड आदि के माध्यम से घर बैठे भुगतान कर सकती है। इससे वह नकदी का उपयोग करने और निकालने से बचेगी।"
सीएआईटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल के अनुसार, आरबीआई का जवाब बताता है कि डिजिटल भुगतान का उपयोग ज्यादा से ज्यादा होना चाहिए। सीएआईटी ने निर्मला से लोगों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए 'इंटेंसिव' देने की योजना शुरू करने का आग्रह किया है।
बयान में कहा गया है, "डिजिटल लेनदेन के लिए लगाए गए बैंक शुल्क को माफ किया जाना चाहिए और सरकार को बैंक शुल्क के बदले बैंकों को सीधे सब्सिडी देनी चाहिए। यह सब्सिडी सरकार पर वित्तीय बोझ नहीं डालेगी, बल्कि यह नोटों की छपाई पर होने वाले खर्च को कम कर देगी।"
बचने को अपनाएं ये तरीका
कोरोना वायरस नोटों से फैल सकता है, इसलिए आपको इससे बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी की जरूरत होगी। आप किसी से नोट लेते हैं तो साधवानी बरतते हुए नोटों को हाथ लगाने के बाद हाथ धोएं। सेनिटाइज भी कर सकते हैं। इसके साथ ही नोटों पर भी सेनिटाइजार स्प्रे कर सकते हैं। ज्यादा से ज्यादा हो सके तो डिजिटल तरीकों से लेन-देन करें।
(इनपुट-IANS)