नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को कहा कि उसने कोल्हापुर के सुभद्रा लोकल एरिया बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। बैंक जिस तरीके से काम कर रहा था, उससे मौजूदा और भविष्य के जमाकर्ताओं के हितों को नुकसान पहुंच सकता था। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 की दो तिमाहियों में न्यूनतम नेटवर्थ की शर्त का उल्लंघन किया। बयान के अनुसार हालांकि सुभद्रा लोक एरिया बैंक के पास जमाकर्ताओं का पैसा लौटाने के लिये पर्याप्त नकदी है।
अरबीआई ने कहा कि जिस तरीके से बैंक काम कर रहा था, अगर उसे उसी तरीके से परिचालन की अनुमति दी जाती तो जन हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता। प्रबंधन की काम करने की प्रकृति वर्तमान और भविष्य के जमाकर्ताओं के हितों को नुकसकान पहुंचाने वाली थी। बयान में कहा गया है कि सुभद्रा लोकल एरिया बैंक को दिया गया लाइसेंस 24 दिसंबर को बैंक कारोबार बंद होने के बाद से रद्द किया जा रहा है। इससे वह कोई भी बैंकिंग गतिविधियां नहीं कर पाएगा। आरबीआई बैंक के परिसमापन के लिए अब उच्च न्यायालय के समक्ष आवेदन देगा।
सेबी ने नियामकीय नियमों कें उल्लंघन के लिए एनडीटीवी प्रर्वतकों पर 27 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया
भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) ने एनडीटीवी के प्रवर्तकों प्रणय रॉय और राधिका रॉय के अलावा आरआरपीआर होल्डिंग पर नियामकीय नियमों के उल्लंघन के लिए कुल 27 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इन इकाइयों पर यह जुर्माना शेयरधारकों से कुछ ऋण करारों से संबंधित सूचनाओं को छिपाकर विभिन्न नियमों के उल्लंघन के लिए लगाया गया है। आरआरपीआर होल्डिंग नई दिल्ली टेलीविजन लि.(एनडीटीवी) की प्रवर्तक इकाई है।
सेबी के अनुसार कुछ ऋण करारों में ऐसे प्रावधान थे जो एनडीटीवी के शेयरधारकों की दृष्टि से प्रतिकूल थे। नियामक ने कहा कि उसने इस मामले की जांच एनडीटीवी की एक शेयरधारक क्वान्टम सिक्योरिटीज प्राइवेट लि.से 2017 में शिकायत मिलने के बाद शुरू की थी। क्वान्टम ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने वीसीपीएल के साथ ऋण करारों के बारे में शेयरधारकों से सूचनाओं का खुलासा नहीं किया है। एक ऋण करार आईसीआईसीआई बैंक तथा दो अन्य करार विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लि.(वीसीपीएल) के साथ किए गए थे।
सेबी के अनुसार, वीसीपीएल के साथ 350 करोड़ रुपये के ऋण का एक करार 2009 में किया गया था। यह करार आईसीआईसीआई बैंक का कर्ज चुकाने के लिए था। वीसीपीएल के साथ दूसरा 53.85 करोड़ रुपये का ऋण करार एक साल बाद किया गया था। सेबी ने अपने 52 पृष्ठ के आदेश में कहा कि इन ऋण करारों में ऐसे प्रावधान और शर्तें थीं जिनसे एनडीटीवी का कामकाज उल्लेखनीय रूप से प्रभावित हुआ। इसके अलावा एक ऋण करार की शर्त के जरिये वीसीपीएल को अप्रत्यक्ष तरीके से वॉरंट को आरआरपीआर होल्डिंग के शेयर में बदलकर एनडीटीवी में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने की अनुमति दी गई थी।