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RBI ने किया इस बैंक का लाइसेंस रद्द, पर्याप्‍त पूंजी और कमाई की संभावना हो चुकी है खत्‍म

परिसमापन पर प्रत्येक जमाकर्ता डीआईसीजीसी से 5 लाख रुपये की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमा राशि के एवज में जमा बीमा दावा प्राप्त करने का हकदार होगा।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: June 01, 2021 11:10 IST
RBI cancels licence of Shivajirao Bhosale Sahakari Bank- India TV Paisa
Photo:PTI

RBI cancels licence of Shivajirao Bhosale Sahakari Bank

नई दिल्‍ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पुणे के शिवाजीराव भोसले सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। इसका कारण बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावना का नहीं होना है। आरबीआई ने सोमवार को एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी। इसमें कहा गया है कि बैंक ने जो आंकड़े दिए हैं, उसके अनुसार 98 प्रतिशत जमाकर्ताओं को जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से उनकी जमा राशि के एवज में पूरा पैसा मिलेगा।

परिसमापन पर प्रत्येक जमाकर्ता डीआईसीजीसी से 5 लाख रुपये की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमा राशि के एवज में जमा बीमा दावा प्राप्त करने का हकदार होगा। इस बारे में जानकारी देते हुए आरबीआई ने कहा कि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावना नहीं हैं और साथ ही यह बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के कुछ प्रावधानों का पालन नहीं करता है। केंद्रीय बैंक के अनुसार बैंक का बने रहना उसके जमाकर्ताओं के हित में नहीं है।

बैंक की जो वित्तीय स्थिति है,उससे वह वर्तमान जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान करने में असमर्थ होगा। बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश सोमवार को कारोबार समाप्त होने के समय से प्रभाव में आया है। महाराष्ट्र सहकारी समिति पंजीयक से बैंक को बंद करने और परिसमापक नियुक्त करने को लेकर आदेश जारी करने का आग्रह किया गया है।

रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा उसके आभासी मुद्रा संबंधी सर्कुलर को निरस्त मानें

रिजर्व बैंक ने सोमवार को बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और भुगतान प्रणाली भागीदारों से कहा है कि वह उसके अप्रैल 2018 में आभासी मुद्रा के बारे में जारी सर्कुलर को निरस्त समझें और ग्राहकों को संदेश में उसका उल्लेख नहीं करें। इस सर्कुलर को बाद में उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था। आरबीआई का यह ताजा आदेश तब जारी किया गया जब कुछ बैंकों और उसके नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों ने इस सकुर्लर का संदर्भ देते हुये अपने ग्राहकों को आभासी मुद्राओं में लेनदेन करने से आगाह किया।

रिजर्व बैंक ने यह सर्कुलर 6 अप्रैल 2018 को जारी किया था। इसमें कहा गया था कि उसके नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों को आभासी मुद्राओं से संबंधित किसी भी तरह की सेवाएं देने से प्रतिबंधित किया जाता है। इनमें आभासी मुद्राओं की खरीद फरोख्त से संबंधित खातों में आने जाने वाली राशि संबंधी सेवाओं पर भी रोक लगाने को कहा गया था। रिजर्व बैंक ने इस संबंध में सोमवार को कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्टों के जरिये उसके संज्ञान में आया है कि कुछ बैंक और नियमन इकाइयां अपने ग्राहकों को 6 अप्रैल 2018 को जारी सर्कुलर का संदर्भ देते हुए आभासी मुद्रा में लेनदेन से आगाह कर रहे हैं।

केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि इस सर्कुलर को 04 मार्च 2020 को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था। ‘‘माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश को ध्यान में रखते हुये यह सर्कुलर उच्चतम न्यायालय के फैसले के दिन से वैध नहीं रह गया है, इसलिये इसका संदेशों में जिक्र अथवा संदर्भ नहीं दिया जाना चाहिये।’’ रिजर्व बैंक ने यह सर्कुलर सोमवार को सभी वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों, भुगतान बैंकों, लघु वित्त बैंकों, गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और भुगतान प्रणाली भागीदारों के नाम जारी किया। रिजर्व बैंक ने कहा, हालांकि, बैंक मानक संचालन नियमनों के तहत अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी), मनी लांड्रिंग रोधी, आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला (सीएफटी) और मनी लांड्रिग रोधी कानून के तहत नियमन में आने वाली इकाइयों के दायित्व के तहत ग्राहकों की जांच परख प्रक्रिया को जारी रख सकते हैं।

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