नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को बैंकों से खुदरा और छोटी कंपनियों को दिये गये कर्ज पर नजर रखने को कहा। उसने कहा कि इन दोनों क्षेत्रों पर काफी दबाव दिख रहा है। छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में आरबीआई ने बैंकों से मौजूदा अनुकूल बाजार स्थिति में पूंजी स्थिति मजबूत करने, संचालन व्यवस्था में सुधार लाने और वैश्विक अनिश्चितता के प्रभाव को लेकर सतर्क रहने को भी कहा।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘बैंकों को खासकर प्रतिकूल चयन पूर्वाग्रह से बचने के साथ उत्पादक और व्यवहारिक क्षेत्रों से होने वाली कर्ज मांग को लेकर सजग रहने की जरूरत है।’’ इसमें कहा गया है कि बहुत उम्मीद के साथ देखें तो कोविड महामारी की दूसरी लहर का प्रभाव चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक रहना चाहिए। जबकि मुद्रास्फीति को लेकर दबाव छमाही तक बने रहने की आशंका है। आरबीआई ने कहा कि उपभोक्ता कर्ज बैंकों के लिये पसंदीदा हो गया था। लेकिन छह महीने यानी सितंबर 2020 तक कर्ज लौटाने को लेकर दी गयी मोहलत के बाद इस मामले में स्थिति बिगड़ी है। कर्ज लेने वाली आबादी के मामले में ग्राहक जोखिम वितरण जनवरी 2021 में एक साल पहले जनवरी 2020 के मुकाबले अपेक्षाकृत उच्च जोखिम की ओर बढ़ा है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से इतर वित्तीय संस्थानों में ग्राहक कर्ज पोर्टफोलियो में शुरूआती दबाव के संकेत दिख रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार उपभोक्ता कर्ज के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिये कर्ज भुगतान में चूक की दर जनवरी 2021 में सुधरकर 1.8 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी महीने में 2.9 प्रतिशत थी। वहीं निजी क्षेत्रों के मामले में यह दोगुना होकर 2.4 प्रतिशत तथा गैर-बैंकिंग क्षेत्रों के लिये 5.3 प्रतिशत से बढ़कर 6.7 प्रतिशत हो गयी। सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को कर्ज के मामले में निजी क्षेत्रों के बैंकों में 9.23 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि हुई जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मामले में यह 0.89 प्रतिशत है। इसकी वजह आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) में तीव्र वृद्धि है। इसके तहत फरवरी 2021 तक 2.46 लाख कर्ज दिये गये। आरबीआई के अनुसार हालांकि छोटे कर्ज के मामले में ऋण पुनर्गठन किया गया है, इसके बावजूद एमएसएमई को लेकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिये दबाव बना हुआ है।
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