नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को बैंकों से जोखिमों के उभरते संकेतों को लेकर सतर्क रहने और इसे कम करने के लिये जरूरी उपाय करने करने को कहा। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि दास ने सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के कुछ बैंकों के प्रबंध निदेशकों और मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) के साथ वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से अलग-अलग बैठकें की। दास ने अपने संबोधन में बैंकों की वित्तीय स्थिति और परिचालन में आए सुधार का उल्लेख किया और कहा कि इससे वित्तीय स्थिरता सुदृढ़ हुई है। आरबीआई के अनुसार गवर्नर ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों के पुनरुद्धार में बैंकों की तरफ से आवश्यक सहायता को जारी रखने की जरूरत है। बयान में कहा गया है, ‘‘उन्होंने बैंकों को जोखिमों या संकट के उभरते संकेतों को लेकर सतर्क रहने और इन्हें कम करने के लिये जरूरी उपाय करने करने की सलाह दी।’’ बैठक में खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को कर्ज प्रवाह, दबाव वाली संपत्ति की स्थिति तथा बैंकों के वित्तीय प्रौद्योगिकी इकाइयों से जुड़ने समेत अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई। इन बैठकों में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम के जैन, एम राजेश्वर राव और टी रवि शंकर भी शामिल हुए।
बैंकों के लिए संशोधित त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई रूपरेखा पेश
वहीं आज ही भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए एक संशोधित त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) रूपरेखा जारी की। इससे समय पर निरीक्षणात्मक हस्तक्षेप किया जा सकेगा और यह बाजार में एक कारगर अनुशासन के माध्यम के रूप में भी काम करेगा। रिजर्व बैंक ने कहा कि संशोधित रूपरेखा में निगरानी के लिए पूंजी और परिसंपत्ति गुणवत्ता प्रमुख क्षेत्र होंगे। संशोधित पीसीए ढांचा एक जनवरी, 2022 से प्रभावी होगा। केन्द्रीय बैंक ने कहा, "पीसीए रूपरेखा का उद्देश्य उचित समय पर निरीक्षणात्मक हस्तक्षेप को सक्षम करना है। इसके लिए निगरानी के अधीन इकाई को समयबद्ध तरीके से उपचारात्मक उपायों को शुरू करने और लागू करने की जरूरत होगी, ताकि उसके वित्तीय स्वास्थ्य को सुधारा जा सके।"