मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने संकट में फंसी आवास ऋण कंपनी दीवान हाउसिंग एंड फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के मामले को औपचारिक रूप से दिवाला कार्रवाई के लिए भेजने से पहले शुक्रवार को एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। यह समिति डीएचएफएल के प्रशासक को सलाह देने का काम करेगी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के गैर कार्यकारी चेयरमैन राजीव लाल, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी एन एस कन्नन और एसोसिएशंस ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के मुख्य कार्यकारी एन एस वेंकटेश को समिति में शामिल किया गया है।
आरबीआई ने कहा कि रिजर्व बैंक ने आरबीआई एक्ट 1934 की धारा 45 आईई 5(ए) के तहत प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए आज डीएचएफएल के प्रशासक को कामकाज में मदद के लिए एक तीन सदस्यीय सलाहकार समिति गठित कर दी है।
इससे पहले केंद्रीय बैंक ने सोमवार को डीएचएफएल के बोर्ड को भंग करते हुए उसे प्रशासक के तहत कर दिया था। डीएचएफएल कामकाज के संचालन में खामी और गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है। इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) के पूर्व प्रबंध निदेशक आर सुब्रमण्यकुमार को प्रशासक नियुक्त किया गया है।
आवास ऋण कंपनी दिवाला प्रक्रिया के तहत जाने वाली पहले एनबीएफसी-एचएफसी है। सरकार ने पिछले शुक्रवार को आईबीसी की धारा 227 को अधिसूचित किया था। इसके तहत रिजर्व बैंक के पास बैंकों को छोड़कर कम से कम 500 करोड़ रुपए की संपत्तियों वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) का मामला दिवाला अदालत के पास भेजने का अधिकार होगा।
जुलाई, 2019 तक डीएचएफएल पर बैंकों, राष्ट्रीय आवास बोर्ड, म्यूचुअल फंडों और बांडधारकों का 83,873 करोड़ रुपए का बकाया था। इसमें से 74,054 करोड़ रुपए गारंटी वाला और 9,818 करोड़ रुपए बिना गारंटी वाला कर्ज था। ज्यादातर बैंकों ने तीसरी तिमाही में डीएचएफएल के खाते को या तो एनपीए घोषित कर दिया है या वे ऐसा करने जा रहे हैं।