मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक पर मानदंडों के उल्लंघन के लिए कुल मिलाकर छह करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, जिसमें से एक उल्लंघन ‘‘धोखाधड़ी के वर्गीकरण और उसकी सूचना’’ देने के नियम से संबंधित है। बैंक ऑफ इंडिया पर चार करोड़ रुपये का जुर्माना तथा पंजाब नेशनल बैंक पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि बैंक ऑफ इंडिया के पर्यवेक्षी मूल्यांकन (एलएसई) के लिए वैधानिक निरीक्षण 31 मार्च 2019 को किया गया था।
बैंक ने एक खाते में धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए एक समीक्षा की और धोखाधड़ी निगरानी रिपोर्ट (एफएमआर) सौंपी। आरबीआई ने एक अलग बयान में कहा कि वित्तीय स्थिति के संदर्भ में पंजाब नेशनल बैंक का वैधानिक निरीक्षण किया गया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट की जांच से पता चला कि इन मामलों में मानदंड़ों का पालन नहीं किया गया है।
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बैंकों ने 89,000 करोड़ रुपये के NPA की पहचान की
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ राजकिरण राय जी ने कहा कि बैंकों ने शुरुआती चरण में राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) को हस्तांतरित करने के लिए 89,000 करोड़ रुपये के लगभग 22 अवरुद्ध ऋण खातों की पहचान की है। आम बजट 2021-22 में बैंकी के दबाव वाले कर्जों की जिम्मेदारी संभालने के लिए एक ‘‘बैड बैंक’’ की तहर की पुनर्गठन कंपनी बनाने की बात कही गई थी, जिसके तहत एनएआरसीएल की स्थापना की गई। रायआईबीए के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने प्रमुख बैंकों से बैठक बुलाने और अनुमोदन तैयार रखने के लिए कहा है ताकि जैसे ही एआरसी का गठन हो, वे प्रक्रिया शुरू कर सकें। मुझे लगता है कि पहले चरण में 22 खातों का मूल्यांकन किया गया, जिनकी कुल राशि लगभग 89,000 करोड़ रुपये है।’’ उन्होंने कहा कि बैंकों ने उन खातों की पहचान की है, जहां करीब 100 फीसदी प्रावधान के नुकसान के प्रावधान किए गए हैं और जहां 500 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज फंसा है। उन्होंने आगे कहा कि ये 22 खाते ऐसे हैं, जहां प्रमुख बैंकों ने पहले ही अन्य बैंकों के साथ बैठकें की हैं और एआरसी का गठन होने पर उन्हें स्थानांतरित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है।