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जूट की महंगाई ने उड़ाई सरकार की नींद, बोरे खरीदने पर पड़ेगा 2000 करोड़ का अतिरिक्त भार

खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए पर्यावरण के अनुकूल जूट के बोरे खरीदने के लिए सरकारी खजाने पर 2,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: May 10, 2021 9:06 IST
जूट की महंगाई ने उड़ाई...- India TV Paisa
Photo:FILE

जूट की महंगाई ने उड़ाई सरकार की नींद, बोरे खरीदने पर पड़ेगा 2000 करोड़ का अतिरिक्त भार

कोलकाता। कच्चे जूट की कीमत चालू सत्र 2020-21 में आसमान छू रही है, जिसके चलते खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए पर्यावरण के अनुकूल जूट के बोरे खरीदने के लिए सरकारी खजाने पर 2,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। केंद्र और विभिन्न सरकारी एजेंसियां हर साल 10-12 लाख टन जूट के बोरे खरीदती हैं, जिनकी कीमत 5,500 करोड़ रुपये है। एक अधिकारी ने बताया, ‘‘कच्चे जूट की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते मौजूदा जूट सत्र में बोरों पर सरकार को अतिरिक्त लगभग 2,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।’’ 

कच्चे जूट की कीमत एक समय 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के पार हो गई थी, जो मार्च 2020 के मुकाबले लगभग 70-80 प्रतिशत अधिक है। बाद में पश्चिम बंगाल सरकार के हस्तक्षेप से कीमत घटकर लगभग 6500 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। सरकारी तंत्र में बोरे के मूल्य निर्धारण के लिए कच्चे जूट की कीमत को आधार माना जाता है। 

सरकार आमतौर पर बोरे की कीमत तय करने के लिए कच्चे जूट की तीन महीने की औसत कीमत को आधार बनाती है। देश में इस समय जूट के रेशों की कमी है और जूट आयुक्त कार्यालय का मानना ​​है कि कम उत्पादन के साथ ही निर्यात के चलते संकट और बढ़ गया। 

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