नई दिल्ली। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद का कहना है कि लोगों के बीच बेवजह नौकरियों के जाने का डर फैलाया जा रहा है जबकि ‘कृत्रिम समझ’ (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस-एआई) जैसी नयी प्रौद्योगिकियों से नयी नौकरियों के द्वार खुलेंगे। उन्होंने यह स्वीकार किया कि लोगों के कौशल को बेहतर करने के लिए उद्योग जगत को अभी बड़ी भूमिका निभानी है। प्रसाद ने कहा कि यह ध्यान रखने की जरुरत है कि प्रौद्योगिकी की प्रकृति की कौशल पर आधारित होती है और मैं डिजिटल कौशल विकास के लिए बहुत संभावनाएं देखता हूं, यह बहुत सी नौकरियां सृजित करेगा।
उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय नीति आयोग जैसे अन्य विभागों के साथ मिलकर इन उन्नत प्रौद्योगिकियों के विभिन्न आयामों पर काम कर रहा है। साथ ही कौशल विकास पहल को लेकर नासकॉम के साथ भी काम कर रहा है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि हम नासकॉम के साथ काम कर रहे हैं। इसके अलावा, मैंने पूरे मामले पर नजर बनाए रखने के लिए कई समितियां भी गठित की हैं। कृत्रिम समझ का उपयोग शासन की बेहतरी के लिए होना चाहिए। हम नीति आयोग जैसे अन्य विभागों के साथ भी काम कर रहे हैं।
यह प्रश्न किए जाने पर कि भारतीय कॉरपोरेट जगत को इस बारे में और प्रयास करने की जरुरत है पर प्रसाद ने कहा कि इसके लिए बहुत संभावनाएं हैं। नासकॉम यह कर रही है लेकिन और बहुत कुछ किए जाने की जरुरत है।
उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि प्रौद्योगिकी नौकरियों को खत्म कर देगी। बल्कि उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों को इस डिजिटल दुनिया में लगातार अपने कौशल को समय की जरुरत के हिसाब से बेहतर बनाते रहना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र प्रत्यक्ष तौर पर करीब 39.8 लाख लोगों को रोजगार देता है जबकि अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 1.3 करोड़ लोग इससे जुड़े हुए हैं।