नई दिल्ली। चीनी की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाए जाने के पक्ष में है। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि खुदरा बाजार में चीनी की कीमत 40 रुपए प्रति किलो पहुंच गई है, हम नहीं चाहते कि कीमतें आगे और बढ़ें। उपभोक्ताओं के हित में हमने चीनी के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाए जाने की सिफारिश की है। वहीं पासवान ने कहा घरेलू तिलहन प्रसंस्करणकर्ताओं को संरक्षित करने के लिए कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर लगने वाले शुल्क के अंतर को बढ़ाने की सिफारिश की है।
चीनी वायदा के पक्ष में पासवान और जेटली
पासवान ने कहा, हमने चीनी मिलों की नकदी की स्थिति सुधारने के लिए कई उपाय किए हैं ताकि वे गन्ना किसानों के बकाए को चुका सकें। हमने उनके लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं, हम नहीं चाहते कि कीमतें आगे और बढ़ें। उपभोक्ताओं के हित में हमने चीनी के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाए जाने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि अभी तक इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं किया गया है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने 22 अगस्त को त्योहारों के दौरान चीनी के कारोबार में सट्टेबाजी को रोकने और मूल्यवृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए इसके वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने के बारे में अंतर मंत्रालयीय परामर्श किया था।
कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर शुल्क में बढ़ेगा अंतर
पासवान के कहा अपने मंत्रालय ने यह सिफारिश भी की है कि घरेलू तिलहन प्रसंस्करणकर्ताओं को संरक्षित करने के लिए कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर शुल्क अंतर को बढ़ाए। उन्होंने कहा कि मौजूदा अंतर 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 13 प्रतिशत किया जाना चाहिए। मौजूदा समय में कच्चे खाद्य तेल पर शुल्क 12.5 प्रतिशत का लगता है जबकि यह शुल्क रिफाइंड खाद्य तेल पर 20 प्रतिशत है। शुल्क पुनर्गठन के जरिए सस्ते रिफाइंड तेल के आयात को रोकने की खाद्य तेल उद्योग की मांग के बारे में पूछने पर पासवान ने कहा, हमारे मंत्रालय ने पहले से ही शुल्क के अंतर को बढ़ाकर 13 प्रतिशत करने की सिफारिश की हुई है।
समझिए चीनी का पूरा गणित
भारत का चीनी उत्पादन 2015-16 के सत्र (अक्टूबर से सितंबर) में घटकर 2.5 करोड़ टन रह जाने का अनुमान लगाया गया है जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 2.83 करोड़ टन का हुआ था। अगले वर्ष के लिए भी उत्पादन का परिदृश्य उत्साहवर्धक नहीं है जहां चीनी उत्पादन कम यानी दो करोड़ 32.6 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि चीनी उद्योगों के प्रमुख संगठन इस्मा का मानना है कि लगभग 2.6 करोड़ टन की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए चीनी का पर्याप्त स्टॉक होगा क्योंकि देश में चीनी का पहले का बचा हुआ करीब 70 लाख टन का स्टॉक होगा।