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बैंकों की हालत सुधारने के लिए बैलेंस शीट साफ करना सबसे जरूरी, शेयरों में गिरावट से निवेशकों की पूंजी घटी

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बैंकों की बैलेंस शीट साफसुथरा करना जरूरी है ऐसा होने पर ही आगे अधिक कर्ज सहायता देने में समर्थ होंगे।

Dharmender Chaudhary
Published : February 12, 2016 11:20 IST
बैंकों की हालत सुधारने के लिए बैलेंस शीट साफ करना सबसे जरूरी, शेयरों में गिरावट से निवेशकों की पूंजी घटी
बैंकों की हालत सुधारने के लिए बैलेंस शीट साफ करना सबसे जरूरी, शेयरों में गिरावट से निवेशकों की पूंजी घटी

मुंबई। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि बैंकों की बैलेंस शीट साफसुथरा करना जरूरी है ऐसा होने पर ही आगे अधिक कर्ज सहायता देने में समर्थ होंगे। रिजर्व बैंक के बही खाते को मार्च, 2017 तक साफसुथरा करने का निर्देश दिया है। इससे बेचैन बैंकों को ढांढस बंधाने का प्रयास करते हुए राजन ने कहा कि फिलहाल बैंकों की एसेट क्वालिटी की समीक्षा (एक्यूआर) दुबारा नहीं की जाएगी। एनपीए बढ़ने से सरकारी बैंकों का मुनाफा प्रभावित हुआ है और उनके शेयरों में जोरदार गिरावट आई है जिससे निवेशकों की पूंजी घटी है।

राजन ने कहा एक्यूआर बार बार नहीं करना चाहते

राजन ने उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए बैंकरों से कहा, हम एक्यूआर बार बार नहीं करना चाहते। उन्होंने इस तथ्य को स्वीकार किया कि एक्यूआर से से बैंकों की स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा है और उनका लाभ और शेयरों के भाव प्रभावित हुए हैं। एक्यूआर के तहत रिजर्व बैंक ने बैंकों से कर्ज चुकाने में चूक करने वाले बड़े कर्जदारों की पहचान भी करने को कहा है। राजन ने इस बात को भी स्वीकार किया सरकारी बैंकों के नतीजे अच्छे नजर नहीं आते। जनवरी मध्य यानी 15 जनवरी से सेंसेक्स में करीब 6 फीसदी की गिरावट आई है। इसी दौरान बैंकों ने अपने तीसरी तिमाही के नतीजे घोषित करने शुरू किए हैं। इस अवधि में बैंकेक्स करीब आठ प्रतिशत टूटा है।

एसबीआई से बड़ा बनेगा कोटक महिंद्रा बैंक

अगल शेयरों में गिरावट का यह सिलसिला जारी रहता है तो मध्यम आकार के बैंक कोटक महिंद्रा का बाजार पूंजीकरण जल्द सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई से अधिक हो जाएगा। गुरुवार को कारोबार बंद होने के समय कोटक महिंद्रा बैंक का बाजार पूंजीकरण 1,15,296.24 करोड़ रुपए पर था। वहीं एसबीआई का बाजार पूंजीकरण घटकर 1,17,375.5 करोड़ रुपए पर आ गया। ग्लोबल अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता के समय रिजर्व बैंक ने पिछले अप्रैल में एक्यूआर प्रक्रिया शुरू की थी। उन्होंने कहा कि उस समय उसे पता नहीं था कि बाजार में इतनी गिरावट आएगी जैसी अब आ चुकी है। राजन ने कहा, उस समय हम जानते थे कि वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर रहेगी, लेकिन यह अंदाजा नहीं था कि बाजार इतना टूटेगा जैसा आज हुआ। कुल मिलाकर इससे हमारी यह मान्यता प्रबल हुई है कि हम उस समय कार्रवाई करनी चाहिए जब इसकी जरूरत होती है। बैंकिंग प्रणाली में ज्यादातर बैंकों की संपत्ति पर दबाव बढ़ा है।

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