पुणे। भारत को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का तमगा मिलने से उपजे उन्माद के प्रति आगाह करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि देश को तय मुकाम पर पहुंचने का दावा करने से पहले अभी लंबा सफर तय करना है। राजन ने यह कहकर एक तरह से भारत के बारे में अपनी अंधों में काना राजा की टिप्पणी को सही ठहराने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा, केंद्रीय बैंकर को व्यावहारिक होना होता है और मैं इस उन्माद का शिकार नहीं हो सकता कि भारत सबसे तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाली विशाल अर्थव्यवस्था है। अपनी अंधों में काना राजा टिप्पणी को स्पष्ट करते हुए राजन ने कहा कि उनकी टिप्पणियों को बेवजह अलग-थलग करके देखा गया और उन्होंने दृष्टिहीनों से माफी भी मांगी यदि उन्हें इस मुहावरे के इस्तेमाल से कोई तकलीफ हुई हो तो।
उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देशों में भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है। राजन ने कहा, हमें अपने मुकाम पर पहुंचने का दावा करने से पहले लंबा सफर तय करना है। हम हर भारतीय को मर्यादित आजीविका दे सकें, इसके लिए लगातार आर्थिक वृद्धि के इस प्रदर्शन को 20 साल तक बरकरार रखने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा महत्वपूर्ण है लेकिन इसे ऐसे देश के तौर पर देखा जा रहा है, जिसने अपनी क्षमता से कम प्रदर्शन किया है और उसे ढांचागत सुधार को कार्यान्वित, कार्यान्वित और कार्यान्वित करना चाहिए। राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान के दीक्षांत समारोह में राजन ने कहा कि भारत का अभी अपनी क्षमता वृद्धि प्राप्त करना शेष है हालांकि, वह इस दिशा में अग्रसर है और लंबित सुधारों के साथ यह वृद्धि में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज कर सकता है। राजन ने कहा कि उनकी टिप्पणी को भारत की सफलता को नीचा दिखाने के तौर पर देखा गया बजाए इसके कि इस टिप्पणी में और अधिक प्रयास करने पर जोर दिया गया है।
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