नई दिल्ली। ट्रेन में अनिवार्य कैटरिंग सर्विसेस को वैकल्पिक बनाने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए रेल मंत्रालय ने चार प्रीमियम ट्रेन में इसे प्रायोगिक आधार पर शुरू करने का फैसला किया है। यह प्रोजेक्ट पायलेट आधार पर 45 दिन के लिए चलाया जाएगा।
यह ट्रायल 15 जून से शुरू होगा। यह ट्रायल निजामुद्दीन-मुंबई सेंट्रल (12953-12354), अगस्तक्रांति राजधानी, नई दिल्ली-पटना राजधानी(12309-12310), पुणे-सिकंदराबाद शताब्दी एक्सप्रेस (12025-26) और हावड़ा-पुरी शताब्दी एक्सप्रेस (12277-12278) में किया जाएगा। ट्रायल के दौरान कैटरिंग सर्विस का शुल्क यात्रा टिकट के किराए में अपनेआप जुड़ा होगा। हालांकि, यात्री अनिवार्य भोजन विकल्प से बाहर भी निकल सकता है और इस विकल्प को चुनने के बाद यात्रा टिकट के किराए में से कैटरिंग शुल्क को कम कर दिया जाएगा। टिकट बुक होने के बाद यात्री इस विकल्प को नहीं बदल सकेंगे।
तस्वीरों में देखिए भारत की लग्जरी ट्रेन
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इंडियन रेलवे कैटेरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर एके मनोचा ने कहा कि इसके जरिये हम यात्रियों को भोजन के और अधिक विकल्प मुहैया कराएंगे। आईआरसीटीसी इन चार ट्रेनों के यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले स्टेशनों पर ई-कैटरिंग सुविधा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेगी ताकि यात्रियों को स्थानीय खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराए जा सकें।
यात्रियों के फीडबैक के बाद मंत्रालय अन्य ट्रेनों में भी इस तरह की सुविधा उपलब्ध कराएगा। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 2016-17 के रेल बजट भाषण में कहा था कि ट्रेन में अनिवार्य कैटेरिंग सर्विस को वैकल्पिक बनाने का ट्रायल जल्द ही शुरू किया जाएगा। आईआरसीटीसी कुछ दुरंतो, राजधानी, शताब्दी और गतिमान एक्सप्रेस में पैंट्री का प्रबंधन करती है और 1500 गैर-पैंट्री कार ट्रेनों में ई-कैटेरिंग की सुविधा उपलब्ध कराती है।