नई दिल्ली। कोरोना महामारी की वजह से अपने-अपने घरों को लौट चुके प्रवासी श्रमिकों के लिए रेलवे अब रोजगार की व्यवस्था करने जा रही है। भारतीय रेलवे ने इसके लिये आर्थिक तंगी से जूझ रहे प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा के जरिये काम देने का मन बनाया है। इस बाबत रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे को योजना बनाने को कहा है। रेलवे ने बताया है कि इस योजना के तहत देश के पांच राज्यों में प्रवासी श्रमिकों को काम दिया जाएगा। तय किया गया है कि इस योजना के तहत रेलवे क्रॉसिंग, रेलवे स्टेशनों के लिए संपर्क मार्ग का निर्माण और मरम्मत कराने का काम मनरेगा के तहत दिया जाए।
रेलवे के मुताबिक प्रवासी श्रमिकों में से ज्यादातर मजदूर अकुशल हैं। इसलिए उन्हें लेवल क्रॉसिंग के लिये संपर्क मार्ग का निर्माण और मरम्मत, ट्रैक के पास ड्रेन, जलमार्गों की सफाई, रेलवे स्टेशनों के संपर्क मार्गों के निर्माण और रखरखाव, झाड़ियों आदि को हटाने और रेलवे की जमीन पर पेड़-पौधे लगाने जैसे कार्यों में लगाया जा सकता है।
इसके साथ ही रेलवे ने यह भी साफ किया कि मनरेगा के तहत रेलवे में अधिक कामकाज नहीं किया जा सकता है। इसका कारण साफ है कि रेलवे का काम गांवों से दूर होता है, मुख्य रूप से ये काम शहरों के आसपास होता है। ऊपर से गांवों के आसपास रेलवे ट्रैक कम होते है, जहां इन लोगों से काम लिया जा सके। ज्यादातर अकुशल श्रमिक होने की वजह से रेलवे में ज्यादातर कामों में इनको नही लगाया जा सकता है। लिहाजा रेलवे कुछ चुने हुये काम ही इन प्रवासी श्रमिको से करवा सकती है।
रेल मंत्रालय के प्रवक्ता डीजे नरेंन ने 'आइएएनएस' को बताया है कि रेलवे के सभी जोन को जिला और राज्य सरकारो से इस बारे में चर्चा कर संभावनाओं को तलाशने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि इस तरह से रेलवे उन श्रमिको को सहायता कर पायेगी, जो मुश्किल समय मे रोजगार की तलाश में है।
गौरतलब है कि रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अभी हाल ही में इस मुद्दे पर एक बैठक की थी। उन्होंने रेलवे के विभिन्न जोनो को मनरेगा के तहत कार्य आवंटन करने और श्रमिकों को रोजगार देने के तरीके ढूंढने को कहा था। इस बाबत रेलवे के सभी जोनों को कहा गया था कि वे उन श्रमिकों की सूची तैयार करें, जिन्हें इसके तहत विभिन्न तरह के कार्यों में लगाया जा सकता है।
फिलहाल रेलवे ने कई जिलों में, जैसे बिहार के कटिहार, आंध्र प्रदेश के वारंगल, राजस्थान के उदयपुर, तमिलनाडु के मदुरै, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और पश्चिम बंगाल के मालदा में इस योजना का इस्तेमाल किया है। लेकिन अन्य क्षेत्रों में उसने ज्यादातर निजी क्षेत्र के कुशल श्रमिकों की सेवाएं ली हैं। रेलवे के प्रवक्ता डी जे नारायण ने कहा कि हम अपने गांवों को लौट चुके प्रवासी मजदूरों के मनरेगा के तहत रोजगार की संभावना तलाश रहे हैं. इससे सभी को फायदा होगा।