नई दिल्ली। केन्द्रीय कर्मचारियों की 11 जुलाई से होने वाली अनिश्चितकालीन हड़ताल से पहले रेलवे ने अपने कर्मचारियों को हड़ताल में न शामिल होने की चेतावनी जारी कर दी है। रेलवे ने एक नोटिस जारी कर कर्मचारियों को सख्त हिदायत दी है कि यदि रेल कर्मी हड़ताल में शामिल हुए तो उन्हें ‘नो वर्क नो पे’ के दायरे में रखा जाएगा और 2 वर्ष की सजा भी हो सकती है। रेलवे के सूत्रों के मुताबिक, सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के खिलाफ केन्द्रीय कर्मचारियों की 11 जुलाई से होने वाली अनिश्चितकालीन हड़ताल में अगर रेल कर्मी शामिल हुए तो उन्हें दो साल की सजा भी हो सकती है। इस आशय का नोटिस रेलवे की ओर से कर्मचारियों को मिलना शुरू हो गया है।
सूत्रों ने बताया कि कर्मचारियों को भेजे जाने वाले नोटिस में साफ तौर पर लिखा है कि हड़ताल में शामिल होने वाले कर्मचारियों के खिलाफ रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 173 व 174 के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें जुर्माना और दो साल की सजा का प्रावधान है। नेताओं की मानें तो इस नोटिस के बाद कर्मचारियों में आक्रोश और बढ़ने लगा है। कर्मचारी हड़ताल के लिए पूरी तरह से तैयार हो गए हैं।
नोटिस को लेकर उत्तर रेलवे मजदूर संगठन के नेता निशाकर दुबे ने कहा कि रेलवे को कर्मचारी के हितों से कोई लेना देना नहीं है। अधिकारी सिर्फ अपने लाभ की बातें करते हैं। वे धमकी से डरने वाले नहीं हैं। केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश पर हड़ताल होगी और हड़ताल के स्वरूप पर लगातार चर्चा हो रही है।
उधर, हड़ताल को लेकर ‘उत्तर रेलवे मेन्स यूनियन’ ने शुक्रवार बैठक कर रणनीति तैयार की। यूनियन कार्यालय के शाखा मंत्री राजेश सिंह के नेतृत्व में हुई बैठक में तय किया गया कि आंदोलन को हर हाल में सफल बनाया जाएगा।
इस बीच लखनऊ स्थित रेलवे अभिकल्प एवं मानक संगठन से जुड़े एक अधिकारी ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा, ” रेलवे की ओर से यहां भी एक सूची जारी की गई है, जिसमें इस बात का उल्लेख है कि 11 जुलाई को प्रस्तावित हड़ताल से कर्मचारी दूर रहें। यदि कोई कर्मचारी शामिल होते हैं तो उस दिन वे ‘नो वर्क नो पे’ के दायरे में रहेंगे और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।”
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