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RBI गवर्नर रघुराम राजन को इन बयानों ने बना दिया जेम्स बॉन्ड से विलेन

शनिवार को आखिरकार रघुराम राजन के दूसरे कार्यकाल को लेकर सस्पेंस खत्म हो गया। राजन ने खुद दोबारा कार्यभार संभालने से इंकार कर दिया।

Dharmender Chaudhary
Updated : June 20, 2016 13:07 IST
नई दिल्ली। बीते शनिवार को आखिरकार रघुराम राजन के दूसरे कार्यकाल को लेकर सस्पेंस खत्म हो गया। राजन ने खुद दोबारा कार्यभार संभालने से इंकार कर दिया। इसके बाद दिग्गज बिजनेसमैन से लेकर राजनेताओं ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी, किसी ने भारत के लिए नुकसानदेह बताया तो किसी ने इसे राजनीतिक चाल करार दिया। इन सबके बीच नए गवर्नर की तलाश भी तेज हो गई है। www.Indiatvpaisa.com की टीम अपने इस आर्टिकल में आपको रघुराम राजन की ओर से दिए गए उन बयानों के बारे में बता रही है जिनके बाद गवर्नर दलाल स्ट्रीट के लिए डार्लिंग बनने के बाद भी सरकार के लिए विलेन बन गए।

आपको याद दिला दें कि जब राजन 2013 में आरबीआई गवर्नर बने थे उस समय देश के एक बड़े अंग्रेजी अखबार ने ग्राफिक छापकर उनको जेम्स बॉन्ड बताया था। लेकिन 2-3 तीन वर्षों के दौरान ऐसा क्या हो गया कि राजन सरकार को विलेन लगने लगे। ब्याज दरों में कटौती पर मतभेद के कारण रघुराम राजन-सरकार के रिश्तों में खटास जरूर नजर आई लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि राजन की तीखी टिप्पणियां इसकी एक और वजह बनी।

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ब्याज दरों कटौती को लेकर मतभेद

राजन से जब ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की भारी कटौती कर सबको चौका दिया, उस वक्त लोगों ने उनको सांता क्लॉज बना दिया। इस पर राजन ने कहा था “मेरा नाम है रघुराम राजन, और मुझे जो सही लगता है, वो करता हूं”। ब्याज दरों कटौती सबसे लिए अच्छी बात थी लेकिन राजन से यह कटौती उस वक्त नहीं की जब सरकार बार बार कह रही थी। राजन हमेशा कहते रहें, जब उनको लगेगा कि महंगाई काबू में है तो ही दरों में कटौती करेंगे। इस बात को लेकर सरकार और गवर्नर हमेशा आमने-सामने रहे।

‘मेक इन इंडिया’ की जगह ‘मेक फॉर इंडिया‘ का नारा

राजन ने 2014 में मेक इन इंडिया को लेकर सरकार को आगाह किया और कहा कि ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब वाला जोश खो चुका है। उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार बहुत बड़ा है इसलिए मेक फॉर इंडिया स्कीम होनी चाहिए। राजन ने कश्मीर में बिजनेस स्टूडेंट्स से कहा, व्यापार के छात्रों के लिए एक भाषण में कहा ”मैं भी एक खास सेक्टर जैसे मैन्युफैक्चरिंग को लेकर सावधान हूं क्योंकि यह चीन में अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अलग है, और अलग समय पर विकास कर रहा है। इसलिए भारत में किसी स्कीम को लागू करने से पहले सोचने की जरूरत है।

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‘अंधों में काना राजा’ बयान पर बवाल

अप्रैल में ‘वैश्विक अर्थव्यस्था में चमकता बिंदु’ बताए जाने पर रघुराम राजन ने कहा था कि यह कुछ कुछ ‘अंधों में काना राजा’ जैसा मामला है। इसके बाद अरूण जेटली से लेकर निर्मला सीतारमण सभी राजन पर टूट पड़े और सरकार-गवर्नर के बीच मतभेद शुरू हो गया। यही मामला है जिसके बाद सुब्रमण्यम स्वामी राजन पीछे हाथ धोकर पड़ गए। हालांकि, राजन ने मामले में सफाई दी और कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया। राजन ने कहा कि वो कहना चाहते थे कि जब जब वैश्विक अर्थव्यवस्था गिर रही थी तब भी भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छा काम कर रही थी।

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आरबीआई कोई चीयरलीडर नहीं

पिछले साल जून में राजन ने कहा “आरबीआई कोई चीयरलीडर नहीं”। उन्होंने संकेत दिया किया उनका काम रुपए में स्थिरता लाना है। राजन ने कहा कि हमारा काम है कि महंगाई को ध्यान में रखते हुए लोगों रुपए के मूल्य में विश्वास देना, लंबे समय के लिए रणनीति बनाना जिससे स्थिरता आ सके। केंद्रीय बैंक के गवर्नर के लिए फेसबुक के लाइक और वोट मायने नहीं रखते। बल्कि आलोचनाओं को नजरअंदाज करके सही दिशा काम करना होता है।

असहिष्णुता और अर्थव्यवस्था का संबंध

रघुराम राजन ने असहिष्णुता के मुद्दे को नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप और इकोनॉमिक एक्टिविटी के लिए सहिष्णुता होना जरूर है। उन्होंने कहा आइडिया के प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही कहा कि बोलने वाले को अधिक सावधान रहना चाहिए और सुनने वालों को सही संदर्भ में समझना चाहिए। विचारों के इस बाजार के लिए सहिष्णुता जरूरी हो गया है। “मुझे लगता है कि हम सभी को सार्वजनिक संवाद को बेहतर बनाने पर काम करना चाहिए।

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