नई दिल्ली। आज होने वाली क्रेडिट पॉलिसी समीक्षा में रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करेंगे या नहीं? हर बार की तरह इस बार भी यह निश्चित तौर पर बाजार, उद्योग जगत और आम जनता के लिए एक जरूरी सवाल होगा। लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि क्रेडिट पॉलिसी की यह समीक्षा ऐसे समय में हो रही है जब बेबाक बोलने वाले राजन को गंभीरता से सुनने के लिए बाजार बेकरार है। निवेशकों भी इस बार रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में कटौती की घोषणा से ज्यादा राजन को सुनना पसंद करेंगे जब वे पॉलिसी समीक्षा के बाद मीडिया से रू-ब-रू होंगे।
इन सवालों के जवाब का है इंतजार
1- दूसरे कार्यकाल पर राजन की टिप्पणी
स्वाभाविक है कि क्रेडिट पॉलिसी की समीक्षा के बाद रघुराम राजन से उनके दूसरे कार्यकाल को लेकर सवाल होंगे। इस पर राजन का जबाव शेयर और मुद्रा दोनों बाजारों के लिए काफी अहम होगा। दूसरे कार्यकाल को लेकर चारों तरफ से मिल रहा सपोर्ट इस बात का संकेत है कि बाजार यह चाहता है कि राजन दूसरा कार्यकाल पूरा करें। गौरतलब है कि इस समय सोशल मीडिया में करीब सात ऑनलाइन अपीलें राजन के दूसरे कार्यकाल के समर्थन में चल रही हैं। इन पर अब तक 60,000 से अधिक हस्ताक्षर प्राप्त हुए हैं। जबकि दो अपीले राजन के कार्यकाल के विरोध में भी चल रही हैं जिनको अच्छा समर्थन नहीं मिल रहा है। इसके अलावा तमाम अर्थशास्त्री भी राजन के पक्ष में अपनी राय रख चुके हैं।
2- “रघु”राम अंदाज में स्वामी को जवाब
“मैं बॉण्ड नहीं हूं, मैं मिशन में जुटा हुआ एक बैंकर हूं।”, “मेरा नाम रघुराम राजन है, मुझे जो करना है मैं करता हूं” “भारत की अर्थव्यवस्था अंधों में कानों जैसी” तमाम मुद्दों पर इस अंदाज में अपनी राय रख चुके रिजर्व बैंक गवर्नर क्या बीजेपी नेता सुब्रामण्यनन स्वामी की बातों पर कोई प्रतिक्रिया देंगे? स्वामी ने राजन को मानसिक रूप से पूर्ण भारतीय न बताते हुए गवर्नर पद से तुरंत हटाने की मांग की थी। इस बाबत उन्होंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी भी लिखी है।
3- सरकारी आंकड़ों पर राजन का नजरिया
इकोनॉमिक रिसर्च के क्षेत्र में विश्वसनीय नाम सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक मार्च 2016 में खत्म हुए वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 5.2 फीसदी रही। जबकि सरकार इसके 7.6 फीसदी होने का दावा कर रही है। ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 देशों की यात्रा पर दुनियाभर की कंपनियों को भारत की तेज ग्रोथ का हवाला देकर निवेश के लिए आमंत्रित कर रहे हैं तब यह देखना अहम होगा कि राजन सरकार के आर्थिक ग्रोथ के आंकड़ों को कितनी तवज्जो देते हैं। मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई और क्रेडिट ग्रोथ के सुस्त आंकड़े जीडीपी ग्रोथ रेट के 7.6 होने पर सवाल खड़ा करते हैं। गौरतलब है कि मई महीने में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 50.7 के स्तर पर है जबकि अप्रैल महीने के लिए क्रेडिट ग्रोथ रेट 0.1 फीसदी है।
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