नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सोमवार को उर्जित पटेल द्वारा आरबीआई के गवर्नर पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देने के निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि डा. पटेल ने अपने इस निर्णय से सरकार को एक कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता है।
रघुराम राजन ने एक अंग्रजी समाचार चैनल को अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विश्वास मानिए आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल का इस्तीफा देना वास्तव में एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि जब कोई सरकारी कर्मचारी ऐसी परिस्थितियों का सामना करता है, जिनसे वह निपट नहीं सकता तो उसके इस्तीफे को विरोध के स्वरूप देखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें इसके विस्तार में जाना चाहिए, कि यह गतिरोध क्यों बना। कौन सी वजह रही जिससे यह कदम उठाना पड़ा। रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से सितंबर 2016 में सेवामुक्त हुए राजन ने कहा कि मैं समझता हूं कि यह ऐसी बात है जिसे सभी भारतीयों को समझना चाहिए क्योंकि हमारी सतत् वृद्धि और अर्थव्यवस्था के साथ न्याय के लिए हमारे संस्थानों की मजबूती वास्तव में काफी महत्वपूर्ण है।
रिजर्व बैंक की शक्तियों के बारे में राजन ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के संचालन के मामले में रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की प्रकृति में बड़ा बदलाव आया है। निदेशक मंडल एक परिचालन वाला बोर्ड बना, परिचालन संबंधी निर्णय के लिए है। रिजर्व बैंक के गवर्नर रहते हुए रघुराम राजन के भी सरकार के साथ मतभेद थे, यही वजह रही कि पहला कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें दूसरा कार्यकाल नहीं दिया गया।
राजन ने कहा कि पहले रिजर्व बैंक का निदेशक मंडल सलाहकार की भूमिका निभाता था जिस पर केंद्रीय बैंक के पेशेवर फैसला लेते थे। राजन का संकेत संभवत: आरबीआई निदेशक मंडल में आरएसएस विचारक एस गुरुमूर्ति और सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ एस.के.मराठे की हाल में नियुक्ति की ओर था। पटेल के इस्तीफे को लेकर उसी समय से चर्चा चल रही थी जबसे सरकार की ओर से रिजर्व बैंक कानून की धारा सात के इस्तेमाल की बात की जा रही थी। इस धारा के तहत सरकार रिजर्व बैंक गवर्नर को सीधे निर्देश दे सकती है।