लंदन। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि विदेशी बैंकों ने भारत में अपनी शाखाएं खोलनी बंद कर रखी हैं, क्योंकि देश की रेटिंग ज्यादा जोखिमपूर्ण होने के कारण उन्हें इसके लिए काफी ज्यादा पूंजी का प्रावधान करना पड़ता है और विस्तार करना काम की बात नहीं लगता।
राजन ने यहां कैंब्रिज विश्वविद्यालय में मार्शल व्याख्यान माला 2015-16 में बैंक क्यों विषय पर अपने व्याख्यान में राजन ने कहा कि वित्तीय संकट के बाद के दौर में बैंकों से ज्यादा पूंजी रखने की मांग की कीमत चुकानी पड़ी है। उन्होंने कहा, वित्तीय संकट के बाद के दौरान में बैंकों से ज्यादा पूंजी रखने के लिए कहने का तुक बनता था। राजन ने कहा, निश्चित तौर पर मैं इसे एक उभरते बाजार के केंद्रीय बैंक नियामक के तौर पर मैं देख रहा हूं कि विदेशी बैंकों ने हमारे यहां नई शाखाएं खोलनी बंद कर दी हैं क्योंकि हमारी क्रेडिट रेटिंग बीएए है, जिसका अर्थ है अपेक्षाकृत अधिक जोखिम। उस लिहाज से अंतरराष्ट्रीय बैंकों, जिन्हें भारत में निवेश करने के लिए कहा जा रहा है, उन्हें लगता है कि ऐसा करना ठीक नहीं है क्योंकि उन्हें बहुत सी पूंजी अलग रखनी पड़ेगी।
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भारत को विभिन्न वैश्विक एजेंसियों ने उच्च जोखिम की संभावना के साथ निवेश श्रेणी की न्यूनतम रेटिंग प्रदान की है। राजन ने कहा कि भारत की स्थिति औद्योगिकी देशों में लघु एवं मध्यम उपक्रमों (एसएमई) की तरह है। ऐसे में मुख्य बात ज्यादा वृद्धि की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के मुख्य अर्थशास्त्री रहे राजन ने कहा, इसलिए हमें अपने-आप से पूछने की जरूरत है कि क्या ज्यादा पूंजी प्रावधान ठीक है या फिर यह बैंकों की गतिविधियों का अतिक्रमण है। इसलिए इस बात पर विचार की जरूरत है कि पूंजी का क्या सही स्तर है।
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