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खरीफ सत्र के दौरान दलहन उत्‍पादन में आई कमी की भरपाई रबी सत्र के पैदावार से होगी : कृषि मंत्री

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि खरीफ सत्र में दलहन उत्पादन में करीब 7 लाख टन की जो कमी आई है उसकी भरपाई रबी सत्र की दलहन पैदावार से की जा सकती है।

Manish Mishra
Published : October 16, 2017 20:33 IST
खरीफ सत्र के दौरान दलहन उत्‍पादन में आई कमी की भरपाई रबी सत्र के पैदावार से होगी : कृषि मंत्री
खरीफ सत्र के दौरान दलहन उत्‍पादन में आई कमी की भरपाई रबी सत्र के पैदावार से होगी : कृषि मंत्री

नई दिल्ली केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने तीन वर्ष पूर्व शुरू की गई अपनी अग्रणी परियोजना चमन की समीक्षा करने के दौरान कहा कि खरीफ सत्र में दलहन उत्पादन में करीब सात लाख टन की जो कमी आई है उसकी भरपाई आगामी रबी सत्र की दलहन पैदावार से की जा सकती है। राधा मोहन सिंह ने कहा कि पिछले साल दलहनों की रिकॉर्ड पैदावार हुई थी। इस वर्ष खरीफ सत्र में उत्पादन में कुछ कमी आई है। लेकिन हमें उम्मीद है कि इस कमी की भरपाई रबी सत्र की पैदावार से हो जाएगी।

केंद्रीय मंत्री ने अग्रणी परियोजना चमन की समीक्षा की। इस परियोजना को सुदूर संवेदी तकनीक के इस्तेमाल के जरिए बागवानी क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाने लिए तीन वर्ष पहले शुरू किया गया था। मौजूदा चरण में इसके लिए 185 जिलों को परियोजना के दायरे में लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना अगले वर्ष मार्च तक पूरी होगी। अगले वर्ष मार्च तक सभी राज्यों को आंकड़े उपलब्ध कराये जाएंगे जिसके आधार पर इस क्षेत्र के विकास के लिए रणनीति को तैयार किया जा सकता है।

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सिंह ने कहा कि बागवानी का क्षेत्र कृषि क्षेत्र के विकास के मुख्य उपकरणों में साबित हो सकता है। भारत दुनिया में सब्जियों और फलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और यह विश्‍व में केला, आम, नींबू, पपीता और भिंडी का सबसे बड़ा उत्पादक है।

सिंह ने कहा कि चमन एक पायनियर परियोजना है जिसमें किसान की आय बढाने के लिए तथा बागवानी क्षेत्र के सामरिक विकास के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है जो सात महत्वपूर्ण बागवानी फसलों के विश्‍वसनीय अनुमान तैयार करने की एक वैज्ञानिक पद्धति है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को बागवानी फसलों के लिए अत्यंत उपयुक्त स्थान चिह्नित करके सही फसल पैदा करने में यह पद्धति मदद करती है ताकि उनकी आय में वृद्धि हो।

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सिंह ने कहा कि चमन अध्ययनों के माध्यम से चिह्नित उच्च उपयुक्तता वाले झूम क्षेत्रों में खेती करने से पूर्वोत्‍तर क्षेत्रों के किसानों की आय में वृद्धि होगी। इसके अलावा चिह्नित जिलों में फसलोपरांत अवसंरचना विकास करके किसानों के फसल के बाद होने वाले नुकसान में कमी आएगी तथा आय में वृद्धि होगी।

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि फसल गहनता, फल उद्यान का पुनरूद्धार और होर्टिकल्चर जैसी विकासात्मक अध्ययन के माध्यम से भी बागवानी फसलों को लाभकारी तरीके से पैदा करने में तथा किसानों की आय को दोगुना करने में मदद मिलेगी।

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