नई दिल्ली। महामारी की दूसरी लहर के कारण व्यापारिक गतिविधियों में रुकावट की वजह से भारतीय उद्योग जगत का कुल राजस्व जून तिमाही में पिछली तिमाही के मुकाबले 8-10 प्रतिशत घटकर 7.3 लाख करोड़ रुपये रह सकता है। क्रिसिल की एक रिपोर्ट में ये अनुमान दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार ऑपरेटिंग प्रॉफिट में भी इससे पिछली तिमाही के मुकाबले 6-8 फीसदी की गिरावट आने की उम्मीद है, लेकिन लो बेस इफेक्ट की वजह से ये पिछले साल के मुकाबले ये 65 फीसदी ज्यादा रह सकता है। वहीं वार्षिक आधार पर, राजस्व में वृद्धि 45-50 प्रतिशत संभव है। क्रिसिल का अनुमान 300 कंपनियों के विश्लेषण पर आधारित है, जिनका बाजार पूंजीकरण (वित्तीय सेवाओं और तेल कंपनियों को छोड़कर) कुल बाजार मूल्य का 55-60 प्रतिशत हिस्सा है।
क्रिसिल ने शुक्रवार को एक नोट में कहा, इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए कंपनियों की आय में गिरावट के अनुमान में सबसे ज्यादा असर ऑटो सेक्टर में देखने को मिलेगा। क्रिसिल के मुताबिक लो बेस इफेक्ट और कमोडिटी कीमतों में बढ़त की वजह से वार्षिक राजस्व में 45-50 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, तिमाही दर तिमाही आधार पर ऑटोमोबाइल, एफएमसीजी और निर्माण जैसे क्षेत्रों में नरमी देखी गई है, जबकि कमोडिटी कीमतों में बढ़त के कारण स्टील और एल्युमीनियम में मजबूती से वृद्धि जारी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आईटी और फार्मा जैसे निर्यात से जुड़े क्षेत्रों ने भी तिमाही दर तिमाही के प्रदर्शन में दूसरी लहर के प्रहार का सामना करने में मजबूत दिखाई है। क्रिसिल के मुताबिक ऑपरेटिंग मार्जिन में साल-दर-साल 170-370 बीपीएस तक सुधार होने की उम्मीद है, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही केवल 0-50 बीपीएस का सुधार हो सकता है। रिसर्च में शामिल 40 में से 27 सेक्टर के मार्जिन गिरने का अनुमान है। स्टील, रबड़ और क्रूड में इस दौरान बढ़त देखने को मिल सकती है।
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