नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन पर लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी घटाने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले की तारीफ की है। आवास एवं शहरी मामलों के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने संपत्ति के पंजीकरण पर स्टांप शुल्क घटाने के महाराष्ट्र सरकार के निर्णय की शुक्रवार को प्रशंसा करते हुए रीयल एस्टेट क्षेत्र में मांग बढ़ाने के लिए अन्य राज्यों को भी ऐसा करने की सलाह दी। मंत्रालय ने दूसरे राज्यों को भी रीयल एस्टेट सेक्टर में मांग बढ़ाने के लिए स्टाम्प ड्यूटी कम करने की सलाह दी है।
उद्योग मंडल पीएसडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के एक वेबिनार को संबोधित करते हुए दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि इससे रियल एस्टेट सेक्टर में मांग बढ़ेगी। साथ ही आम लोगों को स्टाम्प ड्यूटी के नाम पर मोटी रकम चुकाने से निजात मिल जाएगी। इससे प्रॉपर्टी की कुल लागत कम हो जाएगी। आसान शब्दों में समझें तो स्टाम्प शुल्क में कमी होने पर आम खरीदार को घर की कम कीमत चुकानी होगी। मिश्रा ने भरोसा दिलाया कि मंत्रालय उनकी विभिन्न मांगों पर गंभीरता से विचार करेगा। इसमें रीयल एस्टेट उद्योग की आयकर कानून में बदलाव की मांग भी शामिल है, जो बिल्डरों को फ्लैटों का बिक्री मूल्य कम करने में सक्षम बनाएगी।
आवास मंत्रालय के सचिव ने कहा कि देशभर में रुकी हुई आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बनाए गए 25,000 करोड़ रुपये के विशेष कोष से 9,300 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी जा चुकी है। उन्होंने कोविड-19 संकट के दौरान रीयल एस्टेट में सुस्त पड़ी मांग को तेज करने के लिए राज्यों को स्टांप शुल्क कम करने का का सुझाव दिया। मिश्रा ने कहा, 'हमने सभी राज्यों को इसे कम करने की सलाह दी थी। महाराष्ट्र सरकार ने ऐसा किया है। हम अन्य राज्यों से भी ऐसा करने के लिए कहेंगे। महाराष्ट्र सरकार ने एक अच्छा कदम उठाया है। यह लागत घटाने पर सकारात्मक असर डालेगा।'
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को एक सितंबर, 2020 से 31 दिसंबर, 2020 के बीच कराए जाने वाले आवासों के बिक्री विलेख दस्तावेजों पर स्टांप शुल्क घटाकर तीन प्रतिशत करने की घोषणा की। जबकि एक जनवरी, 2021 से 31 मार्च, 2021 के अवधि में स्टांप शुल्क घटाकर दो प्रतिशत करने का निर्णय किया। मौजूदा समय में शहरी क्षेत्रों में स्टांप शुल्क पांच प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में चार प्रतिशत है। स्टांप शुल्क संपत्ति के लेनदेन पर राज्य सरकार द्वारा वसूला जाने वाला कर है जो उनकी आय का एक बड़ा हिस्सा होता है।