नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकारी बैंकों का पूंजी-आधार और मजबूत करने के लिए उन्हें और धन मुहैया कराने की सरकार की प्रतिबद्धता जताई है। जेटली ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में इन बैंकों को जो 18,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इसकी प्रमुख वजह वसूल न किए जा सकने वाले ऋण (एनपीए) के लिए हाई कैपिटल-प्रोविशन है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वस्तुत: 2015-16 में 1.40 लाख करोड़ रुपए का परिचालन लाभ हुआ। उनका कथन इस बात का संकेत माना जा रहा है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन को उतना बुरा नहीं मानती जितना बुरा उसे पेश जा रहा है। जेटली ने यहां बैंकिंग क्षेत्र के प्रदर्शन की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद कहा कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए इस वित्त वर्ष 25,000 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है। जरूरत पड़ने पर उन्हें और धन मुहैया कराया जा सकता है।
जेटली ने कहा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल परिचालन लाभ काफी अच्छा रहा। यह 1.40 लाख करोड़ रपए से अधिक रहा। ऊंचे पूंजी-प्रावधान करने की जरूरत के कारण ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को करीब 18,000 करोड़ रपए का नुकसान हुआ है। पूंजी-प्रावधान का बड़ा हिस्सा पिछले वित्त वर्ष की आखिरी दो तिमाहियों में किया गया है। आज की बैठक में वसूली में अटके रिणों (एनपीए) के स्टैंड अप इंडिया तथा मुद्रा जैसी वित्तीय सवावेश की योजनाओं, उद्योग को रिण प्रवाह और बैंकिंग क्षेत्र के विस्तार जैसे विषयों की समीक्षा की गई।