नई दिल्ली। देश में रियल एस्टेट क्षेत्र में आम लोगों द्वारा प्रॉपर्टी में किए जाने वाले निवेश के मामले में उत्तर प्रदेश और गुजरात ने लंबी छलांग लगाई है। पिछले 10 सालों के दौरान इस क्षेत्र में आकर्षित किए गए कुल 14 लाख करोड़ रुपए के निवेश में यूपी, गुजरात और महाराष्ट्र का योगदान 50 फीसदी से ज्यादा है। प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम के ताजा अध्ययन रियल एस्टेट निवेश: राज्य स्तरीय विश्लेषण के मुताबिक वित्त वर्ष 2004-05 से 2014-15 के बीच रियल एस्टेट क्षेत्र में निजी पक्षों के निवेश के मामले में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 0.1 फीसदी से बढ़कर 16 फीसदी हो गई है। इसके अलावा गुजरात ने भी पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में निजी निवेश के मामले में 10 फीसदी का उछाल दर्ज किया है।
अध्ययन के मुताबिक पिछले एक दशक में निजी निवेश के मामले में महाराष्ट्र के प्रदर्शन में गिरावट आई है। वर्ष 2004-05 में जहां इसकी हिस्सेदारी 25.5 फीसदी थी, वहीं वित्त वर्ष 2014-15 में इसका योगदान घटकर 22 फीसदी रह गया है। एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने रिपोर्ट के हवाले से बताया कि उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट क्षेत्र में कुल आकर्षित निवेश में निजी पक्षों की 98 फीसदी हिस्सेदारी है। उसके बाद गुजरात (92 फीसदी) तथा महाराष्ट्र (89.5 फीसदी) का स्थान है।
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85 फीसदी निवेश निजी पक्षों का
एसोचैम के आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो की यह अध्ययन रिपोर्ट कहती है कि वित्त वर्ष 2004-05 से 2014-15 तक पूरे देश में रियल एस्टेट क्षेत्र में आकर्षित कुल 14 लाख करोड़ रुपए के निवेश में निजी क्षेत्र की 85 फीसदी तथा सार्वजनिक क्षेत्र की 15 फीसदी हिस्सेदारी रही है। रावत ने बताया कि व्यापक आर्थिक स्थितियों में सुधार, नीतिसंगत माहौल बनने, मांग की समुचित पूर्ति, आकर्षक मूल्यांकन तथा पूंजी आवश्यकताओं में बढ़ोत्तरी होने से निजी पक्षों का रीयल एस्टेट क्षेत्र के प्रति आकर्षण बढ़ा है।
एफडीआई के बाद और बढ़ेगा निवेश
एसोचैम ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा रीयल्टी तथा निर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) संबंधी नियमों में रियायत दिए जाने के बाद उम्मीद है कि इससे घरों के निर्माण में बढ़ोत्तरी होगी, जिसके परिणामस्वरूप स्टील, सीमेंट तथा संबंधित अन्य उत्पादन क्षेत्रों को भी फायदा होगा। साथ ही रोजगार के अवसर बढ़ने के अलावा जीडीपी पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। एसोचैम ने अपने अध्ययन में देश में रियल एस्टेट क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिये कई सुझाव दिए हैं। उद्योग मंडल का कहना है कि सरकार रियल एस्टेट विधेयक को प्राथमिकता के आधार पर संसद में पारित कराए, ताकि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके। इसके अलावा केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा रियल एस्टेट से संबंधित परियोजनाओं की मंजूरी के लिए एकल खिड़की प्रणाली लागू की जाए। साथ ही भूलेख प्रक्रिया को पूरा कर उसे कम्प्यूटरीकृत किया जाए।