नई दिल्ली। कारोबार की पाबंदियों में सरकार के ढील देने के बाद भी कोरोना वायरस संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित 108 जिलों में विभिन्न क्षेत्रों की 21.11 लाख करोड़ रुपये की 8,917 परियोजनाएं अभी भी अटकी हुई हैं। एक सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आयी है। सरकार ने लॉकडाउन 4.0 की घोषणा के साथ सख्त पाबंदियों वाले क्षेत्रों को छोड़ अन्य क्षेत्रों में कुछ गतिविधियों में छूट दी है। परियोजनाओं की निगरानी करने वाले संगठन प्रोजेक्ट्स टूडे के एक अध्ययन के अनुसार, रेड जोन के 108 जिलों की 21.11 लाख करोड़ रुपये की लगभग 8,917 परियोजनाएं अटकी हुई हैं। ये देश में चल रही कुल परियोजनाओं का 37.4 प्रतिशत है।
अध्ययन में कहा गया है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की, तो कुल 56.51 लाख करोड़ रुपये की 17,372 परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में थीं। उन्होंने कहा, "लॉकडाउन की पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील के बाद कुछ परियोजनाएं पुन: शुरू हो गयी हैं। एक देश, जो पहले से ही साल भर से आर्थिक सुस्ती के दौर में है, वह लंबे समय तक परियोजनाओं को रोके रखने का जोखिम नहीं उठा सकता है। इन 8,917 परियोजनाओं में 16.26 लाख करोड़ रुपये की 7,998 परियोजनाएं बुनियादी ढांचा क्षेत्र की हैं। इनके अलावा 1,292 सड़क परियोजनाएं, 166 रेलवे परियोजनाएं, 203 अस्पताल परियोजनाएं, 3,971 अचल संपत्ति परियोजनाएं, 630 निर्माणाधीन वाणिज्यिक परिसर और 178 औद्योगिक पार्क शामिल हैं। शेष 900 से अधिक परियोजनाएं विनिर्माण, सिंचाई, बिजली और खनन जैसे क्षेत्रों से संबंधित हैं। प्रोजेक्ट्स टुडे के अनुसार, 8,917 परियोजनाओं में से 62.9 प्रतिशत सरकारी एजेंसियों के पास हैं। केंद्र सरकार की एजेंसियां जहां 4.42 लाख करोड़ रुपये की 1,036 परियोजनाओं का क्रियान्वयन कर रही हैं, वहीं राज्य सरकारों के विभिन्न विभाग 8.86 लाख करोड़ रुपये की 2,609 परियोजनाओं का निष्पादन कर रहे हैं। राज्यों के हिसाब से महाराष्ट्र में सर्वाधिक 5.96 लाख करोड़ रुपये की 2,970 परियोजनाएं अटकी हैं। इसके बाद गुजरात में 769, उत्तर प्रदेश में 695, आंध्र प्रदेश में 390 और दिल्ली में 198 परियोजनाएं रुकी हुई हैं।