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मांग के अनुसार लाइसेंस: रिजर्व बैंक ने कारोबारी घरानों के लिए 10 फीसदी की सीमा का प्रस्ताव किया

भारतीय रिजर्व बैंक ने ऑन टैप लाइसेंसिंग के दिशानिर्देश का मसौदा जारी किया है, जिसमें 10 साल का पेशेवर अनुभव रखने वाले प्रोफेशनल्‍स लाइसेंस के हकदार होंगे।

Abhishek Shrivastava
Updated on: May 06, 2016 15:12 IST
On-Tap Licence: प्रोफेशनल्‍स खोल सकेंगे बैंक, बड़े औद्योगिक घरानों पर रिजर्व बैंक ने लगाई पाबंदी- India TV Paisa
On-Tap Licence: प्रोफेशनल्‍स खोल सकेंगे बैंक, बड़े औद्योगिक घरानों पर रिजर्व बैंक ने लगाई पाबंदी

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने निजी क्षेत्र में ऑन टैप लाइसेंसिंग के दिशानिर्देश का मसौदा जारी किया है। मांग के अनुसार लाइसेंस व्यवस्था की ओर आगे बढ़ते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने इस मसौदे में कहा है कि 10 साल का पेशेवर अनुभव रखने वाले प्रोफेशनल्‍स पूर्ण बैंक का संचालन करने के लिए लाइसेंस हासिल करने के हकदार होंगे, लेकिन इसमें बड़े उद्योग घराने सिर्फ निवेशक के रूप में शामिल हो सकते हैं। इन बड़ी कंपनियों को 10 फीसदी से कम की हिस्सेदारी रखने की अनुमति होगी। इस मसौदे पर 30 जून तक आम जनता से सुझाव मांगे गए हैं। सुझाव मिलने के बाद अंतिम दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे और निजी क्षेत्र में नए पूर्णकालिक बैंक की स्‍थापना के लिए आवेदन करने की अनुमति दी जाएगी।

इस मसौदे से कई बड़े औद्योगिक घरानों की योजना को चोट पहुंचेगी, जो पिछले दौर में यूनिवर्सल बैंक लाइसेंस हासिल करने की दौड़ में पिछड़ गए थे और अपना खुद का बैंक स्थापित करने के लिए ऑन टैप लाइसेंस व्यवस्था का इंतजार कर रहे थे।

यूनिवर्सल या सार्वभौमिक बैंकां पर पूर्व के नियमों से हटते हुए मसौदे में कहा गया है कि बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में दस साल का अनुभव रखने वाले देश के निवासी यूनिवर्सल बैंकों के प्रमोटर बन सकेंगे। दिशानिर्देशों में बड़े उद्योग घरानों को प्रमोटर बनने के लिए अयोग्‍य बताया गया है। हालांकि, उन्‍हें बैंकों में चुकता इक्विटी पूंजी के 10 फीसदी से कम तक निवेश करने की अनुमति होगी। रिजर्व बैंक ने यूनिवर्सल बैंक के लिए चुकता इक्विटी पूंजी 500 करोड़ रुपए तय की है।

ऑन टैप लाइसेंसिंग व्यवस्था के तहत आवेदक किसी भी वक्त लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। मसौदे के मुताबिक, बैंकों की शुरुआती न्यूनतम चुकता शेयर पूंजी पांच सौ करोड़ रुपए होगी और उसके बाद उन बैंकों का न्यूनतम मूल्य हमेशा कम से कम पांच सौ करोड़ रुपए रहना चाहिए। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की वर्तमान नीति के अनुरूप इन बैंकों में कुल एफडीआई अधिकतम 74 फीसदी होगी। आरबीआई बैंक की स्थापना के लिए सैद्धांतिक अनुमति देगा, जो 18 महीने के लिए वैध होगी। मसौदे के मुताबिक, व्यक्तियों या अकेली इकाइयों के प्रमोटर होने की स्थिति में गैर-ऑपरेटिव वित्तीय होल्डिंग कंपनी (एनओएफएचसी) की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। साथ ही अब एनओएफएचसी की कुल चुकाता शेयर पूंजी में प्रमोटर की हिस्सेदारी कम से कम 51 फीसदी तय की गई है।

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