नई दिल्ली। देश में कोविड-19 टीकाकरण अभियान की तैयारी के बीच निजी जांचकर्ताओं के निकाय एपीडीआई ने नकली टीकों पर लगाम लगाने के लिये अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाया है। दिल्ली के एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डिटेक्टिव्स एंड इनवेस्टिगेटर्स (एपीडीआई) ने पहल कर फर्जी टीकों के खिलाफ वैश्विक गठबंधन (जीएएफवी) बनाया गया है। इसमें 16 देशों के पेशेवर जांचकर्ता शामिल हैं। भारत की इस वैश्विक पहल में और भी इससे जुड़ सकते हैं। एपीडीआई के चेयरमैन कुंवर विक्रम सिंह ने एक बयान में कहा, ‘‘कोविड-19 के नकली टीकों के बाजार में आने की खबरों के बीच जीएएफवी का गठन किया गया है। यूरोपीय संघ की जांच एजेंसियों के साथ दुनिया भर की जांच एजेसियों ने पहले ही नकली टीके जारी होने को लेकर चेतावनी जारी की है।’’ उन्होंने कहा कि इसी प्रकार इंटरपोल ने दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में नकली टीकों के बरामद होने के बाद नोटिस (पर्पल नोटिस) जारी कर इस बारे में पूरी जानकारी मांगी है। सिंह ने कहा, ‘‘उसके बाद हमारी पहल पर अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाया गया है। एपीडीआई ने जीएएफवी के गठन से पहले अंतरराष्ट्रीय समकक्षों के साथ इस पर गहन चर्चा की।’’ एपीडीआई ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर नकली कोविड-19 टीकों के मसले से निपटने को लेकर सरकार की योजना में मदद की भी पेशकश की।
भारत के औषधि नियामक डीसीजीआई ने दो टीकों के सीमित आपात उपयोग को रविवार को मंजूरी दी है। भारत के औषध महानियंत्रक ने जिन दो टीकों के सीमित आपात उपयोग की मंजूरी दी है, उनमें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका के द्वारा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर तैयार कोविशील्ड तथा घरेलू दवा कंपनी भारत बायोटेक के द्वारा विकसित पूर्णत: स्वदेशी कोवैक्सीन शामिल है। दुनिया भर के कई हिस्सों में टीकाकरण शुरू हो चुका है। वहीं भारत में इसके जल्द शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि इसी के साथ धोखाधड़ी को लेकर आशंकाएं भी बढ़ गई हैं।