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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा : डिजिटल लेनदेन बढ़ाने की है जरूरत, लेस कैश इकोनॉमी को बढ़ाना है आगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से पुरानी सोच छोड़कर कम नकदी (लेस कैश) वाली अर्थव्यवस्था और डिजिटल लेनदेन को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है।

Manish Mishra
Published : August 15, 2017 13:35 IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा : डिजिटल लेनदेन बढ़ाने की है जरूरत, लेस कैश इकोनॉमी को बढ़ाना है आगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा : डिजिटल लेनदेन बढ़ाने की है जरूरत, लेस कैश इकोनॉमी को बढ़ाना है आगे

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से पुरानी सोच छोड़कर कम नकदी (लेस कैश) वाली अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद देश में डिजिटल लेनदेन में 34 फीसदी की वृद्धि हुई है और प्रीपेड भुगतान भी करीब 44 प्रतिशत बढ़ा है। प्रधानमंत्री ने देश के युवाओं को नए भारत के निर्माण में आगे आकर नेतृत्व करने और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि आज जो कागज के नोट चल रहे हैं डिजिटल करेंसी उसका स्थान लेने वाली है। सब बदलने वाला है।

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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा, दुनिया में हमारी पहचान सूचना प्रौद्योगिकी से है, डिजिटल वर्ल्ड के द्धारा है। क्या अब भी हम उसी पुरानी सोच में रहेंगे। एक जमाने में चमड़े के सिक्के चलते थे, धीरे-धीरे लुप्त हो गए, कोई पूछने वाला नहीं रहा। आज जो कागज के नोट हैं, समय आते जाते यह भी पूरा डिजिटल करेंसी में परिवर्तित होने वाला है। हम नेतृत्व करें, हम डिजिटल लेन-देन की तरफ जायें, हम भीम एप को अपनाएं और आर्थिक कारोबार का हिस्सा बनाएं।

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प्रीपेड भुगतान में 44 फीसदी की हुई वृद्धि

उन्होंने कहा कि हमें प्रीपेड कार्ड को भी बढ़ावा देना चाहिए। मुझो खुशी है कि डिजिटल लेन-देन बढ़ा है। पिछले साल के मुकाबले इसमें 34 प्रतिशत इजाफा हुआ है और प्रीपेड भुगतान में करीब 44 प्रतिशत वृद्धि हुई है। हमें लेस कैस इकोनॉमी को लेकर आगे बढ़ना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नोटबंदी से करोड़ो रुपए का बिना हिसाब किताब वाला धन व्यवस्था में आया है। सरकार के इस कदम से कालाधन सृजन में कमी आई है। नोटबंदी का परिणाम यह रहा है कि इस साल कर रिटर्न दाखिल करने वाले नये लोगों की संख्या एक साल पहले के मुकाबले दोगुने से भी अधिक होकर 56 लाख तक पहुंच गई। पिछले साल 22 लाख नए लोगों ने कर रिटर्न दाखिल की थी। यह कालेधन के खिलाफ लड़ाई का परिणाम है।

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मोदी ने कहा कि,

नोटबंदी के बाद जो आंकड़े सामने आये हैं उनमें 18 लाख लोगों की आय-व्यय में अंतर पाया गया है। उन्हें अब जवाब देना है कि उनके पास यह संपात्ति कहां से आई। 18 लाख में से 4.5 लाख लोग सामने आए हैं। इन लोगों ने अपनी गलती सुधारने की बात कही है। इनमें एक लाख लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने कभी भी आयकर नहीं भरा।

सवा लाख करोड़ के कालेधन का पता चला

कालेधन के खिलाफ उठाए गये कदमों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले तीन साल के दौरान सवा लाख करोड़ रुपये के कालेधन का पता चला है। कालाधन रखने वालों को इसे सुपुर्द करने पर मजबूर होना पड़ा है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने पिछले साल 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपए के नोट चलन से हटा दिए थे। इनके स्थान पर 500 और 2,000 रुपए के नए नोट जारी किए गए।

नोटबंदी के बाद 1.75 लाख कंपनियों के पंजीकरण रद्द हुए

प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस देश में चार-पांच कंपनियों के बंद हो जाने से अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने जैसे मुद्दों पर बहस छिड़ जाती थी वहां नोटबंदी के बाद 1.75 लाख कंपनियों के पंजीकरण रद्द हो चुके हैं। कालाधन रखने वालों ने इन मुखौटा कंपनियों की आड़ में अपना धन छुपाकर रखा था। नोटबंदी के बाद आंकड़ों की जांच पड़ताल से पता चला कि देश में तीन लाख मुखौटा कंपनियां चल रही थी। एक ही पते पर 400–400 कंपनियां थी। पूरी तरह से मिलीभगत चल रही थी। देश का माल लूटने वालों को अब जवाब देना होगा।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी से करोड़ों रुपये का कालाधन बैंकों में आया जिससे अब ब्याज दर कम हो रही है। ब्याज दरें घटने से आम आदमी को सस्ता कर्ज मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि नोटबंदी के बाद नकदी प्रवाह कम हुआ है, डिजिटल भुगतान बढ़ा है। पिछले एक साल में डिजिटल भुगतान में 34 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

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उन्होंने कहा, हम सबको मिलकर एक ऐसा भारत बनाना है जहां गरीब के पास पक्का घर हो, सभी तक बिजली पहुंची हो। देश का किसान चिंता में नहीं हो बल्कि चैन की नींद सो रहा हो। 2022 तक किसान की आय दोगुनी करनी है। देश के युवाओं और महिलाओं के सपने अवश्य पूरे होंगे।

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