गंगटोक। जैविक खेती के क्षेत्र में सिक्किम की सफलता का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश भर में जैविक खेती के विस्तार की वकालत की है। ताकि कृषि क्षेत्र में सुधार हो और किसानों को उनकी उपज का अधिक लाभदायक मूल्य मिल दिलाने में मदद मिले। प्रधानमंत्री ने खेती के अनुकूल मोबाइल ऐप, ऑनलाइन मंडियों और खेती में मूल्य वर्धन की पहल पर जोर दिया।
खेती को तीन हिस्सों बांटकर करना चाहिए
मौसम की मार सहने वाले किसानों के लिए वित्तीय सुरक्षा के उपाय के रूप में मोदी ने सुझाया कि उन्हें खेती की गतिविधियों को तीन बराबर हिस्सों बांटना चाहिए। इसमें एक हिस्सा फसल उत्पादन की नियमित खेती, आर्थिक रूप से लाभप्रद टिम्बर (इमारती लकड़ी) के लिए वृक्षारोपण और पशुपालन। उन्होंने कहा कि टिम्बर और पशुपालन सामान्य खेती को नुकसान होने पर वैकल्पिक सहारे का काम करेंगे और किसानों को बेबसी की स्थिति का सामना नहीं करना होगा। फलों की बर्बादी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि उन्होंने शीतलपेय बनाने वाली कंपनियों से कहा कि वे इन उत्पादों में पांच प्रतिशत फलों के रस का सम्मिश्रण करें ताकि किसानों को वित्तीय हानि न हो।
जैविक खेती पर जोर देगी सरकार
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, अगर हम किसानों, कृषि और गांवों को टुकड़ों में देखेंगे तो देश को लाभ नहीं होगा। हमें खेती के कामकाज को सम्पूर्णता के साथ देखना होगा। उन्होंने कहा कि वह यहां सभी राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ इस बात पर विचार विमर्श करने आए हैं कि किस तरह से भारत के कृषि का रूपांतरण किया जा सकता है। सम्मेलन के मेजबान राज्य सिक्किम का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह राज्य पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। इस संदर्भ में उन्होंने जैविक खेती का हवाला दिया जो सिक्किम में सफलता की कहानी कहता है। उन्होंने अन्य राज्यों से अपील की कि वे रणनीतिक स्तर पर (जैविक खेती के लिए) करीब 100 से 150 गांवों को मिलाकर एक जिला अथवा एक ब्लॉक अथवा तालुका को चुनें और वहां इसकी कोशिश करें। अगर प्रयोग सफल रहता है, तो बाकी जगह के किसान खुद ही इसका अनुपालन करेंगे। किसानों को वैग्यानिकों के कितने भी व्याख्यान से कोई असर नहीं होगा। उनके लिए जो दिखेगा वही वे मानेंगे।