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प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी कंपनियों को निवेश के लिए किया आमंत्रित, GST को बताया क्रांतिकारी कदम

प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी कंपनियों के प्रमुखों से भारत में निवेश करने का आह्वान करते हुए कहा कि भारत एक कारोबार हितैषी देश के रूप में उभर रहा है।

Manish Mishra
Updated : June 27, 2017 13:36 IST
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी कंपनियों को निवेश के लिए किया आमंत्रित, GST को बताया क्रांतिकारी कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी कंपनियों को निवेश के लिए किया आमंत्रित, GST को बताया क्रांतिकारी कदम

वाशिंगटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की शीर्ष कंपनियों के प्रमुखों से भारत में निवेश करने का आह्वान करते हुए कहा कि भारत एक कारोबार हितैषी देश के रूप में उभर रहा है। साथ ही उन्होंने देश में अगले महीने से लागू होने जा रही वस्‍तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली को भी कारोबार सुगमता के लिए परिवर्तन लाने वाला बताया। अमेरिका की 20 शीर्ष कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEO) के साथ एक गोलमेज बैठक के दौरान मोदी ने रेखांकित किया कि पिछले तीन साल में राजग सरकार की नीतियों के चलते भारत ने सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित किया है।

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इस बैठक में Apple के टिम कुक, गूगल के सुंदर पिचाई, सिस्को के जॉन चैंबर्स और अमेजन के जेफ बेजोस मौजूद थे। मोदी ने उनकी सरकार के पिछले तीन साल में उठाये गए और निकट भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में जानकारी दी। GST से जुड़ी सभी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने एक ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी के हवाले से कहा कि,

सारी दुनिया भारत की ओर देख रही है। भारत सरकार ने 7,000 सुधार अकेले कारोबार सुगमता और न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के लिए किए हैं।

बागले बैठक के दौरान ही ट्वीट कर रहे थे। उनके अनुसार मोदी ने कंपनी प्रमुखों से कहा कि भारत की वृद्धि उसके और अमेरिका दोनों के लिए फायदेमंद हैं। अमेरिकी कंपनियों के सामने इसमें योगदान देने का एक महान अवसर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि, GST को लागू किए जाने का ऐतिहासिक फैसला अमेरिका के बिजनेस स्कूलों में अध्ययन का विषय हो सकता है। लगभग एक घंटे लंबी चली इस बातचीत में मोदी ने कंपनी प्रमुखों की मांगों को धैर्यपूर्वक सुना। मोदी विलार्ड होटल में रूके हैं और उन्होंने यह बैठक इसी होटल में की।

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इस बैठक में Apple के टिम कुक, माइक्रोसॉफ्ट के सत्य नडेला, गूगल के सुंदर पिचाई, सिस्को के जॉन चैंबर्स और अमेजन के जेफ बेजोस मौजूद थे। अन्य कंपनी प्रमुखों में एडोब के शांतनु नारायण, मास्टर कार्ड के अजय बंगा, इमरसन के डेविड फार, डेलॉइट ग्लोबल के डो मैकमिलन और पुनीत रंजन तथा अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (USIBC) के अध्यक्ष मुकेश अघी भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री की कंपनी प्रमुखों के साथ एक समूह तस्वीर साझा करते हुए बागले ने कहा, भारत-अमेरिका आर्थिक साझेदारी को मजबूती प्रदान करते हुए।

हाल ही में एक नीति दस्तावेज में USIBC ने कहा था कि अमेरिका-भारत वाणिज्यिक और रणनीतिक संबंध वैश्विक सुरक्षा का समर्थन करते हैं, आर्थिक वृद्धि का प्रसार करते हैं और दोनों देशों एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए रोजगार का निर्माण करते हैं।

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USIBC ने कहा कि आज हम वैश्विक व्यवस्था में बदलाव देख रहे हैं। दोनों देशों के सामने एक अवसर उभर कर आया है कि वे द्विपक्षीय संबंधों में नए मानकों को स्थापित करें जो उनके साझा मूल्यों को प्रतिबिंबित करेगा।

एक अलग बयान में इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स ऑफ ग्रेटर यूस्टन के कार्यकारी निदेशक जगदीप अहलूवालिया ने कहा कि अमेरिका और भारत परस्पर अच्छे संबंधों को साझा करते हैं और मोदी की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ यह पहली सीधी मुलाकात दोनों देशों के बीच संबंध को और मजबूत करेगी।

बैठक में मौजूद भारतीय अधिकारियों के अनुसार अमेरिकी सीईओ ने कौशल विकास और शिक्षा पहल में भागीदारी में रुचि दिखायी। उन्होंने भारत में उनकी कंपनियों द्वारा महिला सशिक्तकरण, डिजिटल प्रौद्योगिकी, शिक्षा तथा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में उठाये गये कदमों का जिक्र किया। बैठक के दौरान बुनियादी ढांचा, रक्षा विनिर्माण और ऊर्जा सुरक्षा के भी मुद्दे उठे। बागले के अनुसार, अमेरिकी कंपनियों के प्रमुखों ने व्यापार सुगमता के लिये सरकार की तरफ से उठाये गये कदमों की सराहना की। बैठक के बाद पिचाई ने संवाददाताओं से कहा कि वे भारत में निवेश को लेकर उत्साहित हैं। पिछले तीन साल में भारत सरकार द्वारा उठाए गये कदमों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि GST के क्रियान्वयन को लेकर अमेरिकी कंपनियों का रूख सकारात्मक है। कुक ने बैठक को अच्छा बताया।

अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष मुकेश आघी ने कहा कि कंपनी प्रमुखों ने प्रधानमंत्री द्वारा सुधार की दिशा में उठाए गए कदमों की सराहना की और भारत को व्यापार अनुकूल गंतव्य बनाने की दिशा में उनकी पहल को रेखांकित किया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बैठक में एच-1बी वीजा का मुद्दा नहीं उठा।

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