नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) पर संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह नई इनडायरेक्ट टैक्स व्यवस्था को लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। नरेेंद्र मोदी सरकार जीएसटी को अगले साल एक अप्रैल से लागू करना चाहती है। केंद्र सरकार ने 17 राज्यों से मंजूरी मिलने के बाद जीएसटी विधेयक को राष्ट्रपति के पास उनकी मंजूरी के लिए भेजा था। इससे अब देश में 70 साल पुराने सबसे बड़े टैक्स सुधार का रास्ता एक दम साफ हो गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति मुखर्जी ने विधेयक को मंजूरी दे दी है। विधेयक के पारित होने से जीएसटी परिषद के गठन का रास्ता साफ होगा। यह परिषद जीएसटी की दर, उपकर और अधिभारों आदि पर निर्णय करेगी। जीएसटी के लागू होने के बाद ज्यादातर केंद्रीय और राज्य स्तरीय अप्रत्यक्ष टैक्स जैसे उत्पाद शुल्क, सर्विस टैक्स, सेल्स टैक्स या वैट, केंद्रीय सेल्स टैक्स, अतिरिक्त सीमा शुल्क और सीमा शुल्क पर विशेष अतिरिक्त शुल्क इसमें समाहित हो जाएंगे।
संसद ने इस विधेयक को 8 अगस्त को पारित किया था, जिसके बाद इसे राज्य सरकारों के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया था। किसी संविधान संशोधन विधेयक को कम से कम 50 फीसदी राज्यों की विधानसभाओं द्वारा अनुमोदित करने की जरूरत होती है। 17 राज्यों द्वारा इस विधेयक को अनुमोदित किए जाने के बाद इसे राष्ट्रपति सचिवालय को भेजा गया था। भाजपा शासित असम ने सबसे पहले इस विधेयक को अनुमोदित किया था।
जिन अन्य राज्यों ने इस विधेयक को पारित किया है उनमें बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, नगालैंड, महाराष्ट्र, हरियाणा, सिक्किम, मिजोरम, तेलंगाना, गोवा, ओडि़शा और राजस्थान शामिल हैं। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने हाल में कहा था कि सरकार जीएसटी के क्रियान्वयन के मामले में आगे चल रही है। उन्होंने ट्वीट किया था कि राज्यों द्वारा इसे अनुमोदन के लिए 30 दिन रखे गए थे, लेकिन इसे 23 दिन में ही पूरा कर लिया गया।