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बैंकिंग अध्यादेश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दी मंजूरी, आज जारी हो सकता है ब्योरा

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने डूबे कर्ज की समस्या से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को अधिक अधिकार देने से संबंधित बैंकिंग अध्यादेश को मंजूरी दे दी है।

Ankit Tyagi
Updated on: May 05, 2017 10:44 IST
बैंकिंग रेगूलेशन एक्‍ट संशोधन अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी, आज जारी हो सकता है ब्योरा- India TV Paisa
बैंकिंग रेगूलेशन एक्‍ट संशोधन अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी, आज जारी हो सकता है ब्योरा

नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने डूबे कर्ज (NPA)की समस्या से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को अधिक अधिकार देने से संबंधित बैंकिंग अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही बैंकिंग रेगुलेशन कानून में बदलाव को भी मंजूरी मिल गई है। माना जा रहा है कि सरकार नए एनपीए अध्यादेश का ब्योरा आज जारी करेगी।

मिलेंगे RBI को ज्यादा अधिकार!

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक  बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के सेक्शन 35 में दो नए प्रावधान जोड़े गए हैं। एक प्रावधान के तहत आरबीआई को ये अधिकार दिया गया है कि वो बैंकों के डिफॉल्टर के खिलाफ इन्सॉल्वेन्सी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कार्रवाई करे। दूसरे प्रावधान के तहत आरबीआई को अधिकार दिया गया है कि वो तय समय सीमा में एनपीए से निपटने के लिए बैंकों को जरूरी निर्देश जारी कर सके।

बुधवार को कैबिनेट ने दी थी मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को गैर निष्पादित आस्तिया (एनपीए) की समस्या से निपटने के लिए बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी करने को मंजूरी दी थी। यह भी पढ़े: सरकारी बैंकों के विलय से बैंकिंग प्रणाली को फायदा होगा, उर्जित पटेल ने कहा NPA से निपटने में मिलेगी मदद

एनपीए ने निपटने में मिलेगी मदद

वित्त सचिव अशोक लवासा का कहना है कि बैंकिंग कानून में प्रस्तावित बदलावों से फंसे कर्ज यानी एनपीए की समस्या से प्रभावी समाधान में दीर्घकालिक मदद मिलेगी। एनपीए की समस्या बैंकिंग क्षेत्र के लिए बड़ा संकट बनी हुई है।  वित्त सचिव ने यहां संवाददाताओं से कहा, एनपीए में कितनी कमी होगी इसके बारे में कोई संख्या बताना मेरे लिए संभव नहीं होगा लेकिन निश्चित रूप से हमारा मानना है कि इन बदलावों से फंसे कर्ज से निपटने की प्रणाली अधिक प्रभावी हो जाएगी। यह भी पढ़े: भारत के लिए बहुत बड़ी नहीं है बैंकों के NPA की समस्या, 20-30 बड़े खातों तक ही है सीमित : जेटली

छह महीने के अंदर संसद से लेनी होगी अध्यादेश पर मंजूरी

संविधान के अनुसार किसी भी अध्यादेश के अधिसूचित होने के छह महीने के भीतर उस पर संसद की मंजूरी लेनी होती है। इसलिए जब संसद का मानसून सत्र शुरू होगा तो इस कानून पर दोनों सदनों में विचार होगा। लवासा ने कहा कि उन्होंने कहा कि देश की बैंकिंग प्रणाली में मौजूद पेशेवर रख तथा प्रवर्तकों की भागीदारी के साथ हम अनेक मामलों को निपटा पाएंगे।

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