मुंबई। शहरी क्षेत्रों में एक करोड़ मकान बनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार को अगले तीन साल में एक लाख करोड़ रुपए जुटाने होंगे। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।
सरकार ने अपनी प्रमुख प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) की शुरुआत 25 जून, 2015 को की थी। इसके तहत 2022 तक सभी को सस्ते मकान उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 26 नवंबर तक 63 लाख मकानों की मंजूरी दी गई। इसमें से सिर्फ 12 लाख मकान ही बन पाए हैं और 23 लाख का निर्माण चल रहा है।
राज्यों की बात की जाए, तो कुल मंजूर मकानों में से 55 प्रतिशत आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु में मंजूर किए गए हैं। सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के अंत तक मंजूरशुदा मकानों की संख्या 75 लाख करना और इसमें से 30 लाख का निर्माण करना है।
क्रिसिल ने कहा कि सरकार को 2022 तक 1.5 लाख रुपए प्रति मकान के हिसाब से सात साल में डेढ़ लाख करोड़ रुपए का योगदान करना है। अभी तक इसका सिर्फ 22 प्रतिशत यानी 32,500 करोड़ रुपए ही दिया गया है। क्रिसिल रिसर्च के वरिष्ठ निदेशक प्रसाद कोपार्कर ने कहा कि हमारी गणना के हिसाब से सरकार को एक करोड़ मकान बनाने के लिए अगले तीन साल में एक लाख करोड़ रुपए जुटाने होंगे।