नयी दिल्ली। बिजली का उत्पादन करने वाली कंपनियों ने कोल इंडिया लिमिटेड (CIL/Coal India Limited) को छत्तीसगढ़ के कोरबा क्षेत्र से रेलवे के जरिए कोयले की आपूर्ति (Coal supply) बढ़ाने को कहा है। इन कंपनियों का कहना है कि इससे कोयले की ढुलाई का खर्च कम होगा और अंततः लोगों को बिजली अपेक्षाकृत कम कीमत पर मिल सकेगी। एसोसिएशन ऑफ पावर प्रोड्यूशर्स (Association of Power Producers) के अनुसार कोरबा क्षेत्र की घरेलू कोयला आपूर्ति में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है, लेकिन कोल इंडिया की अनुषंगी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड क्षेत्र से महज 55 प्रतिशत कोयला ही रेल के जरिए आपूर्ति कर पा रही है।
एसोसिएशन ने कोल इंडिया लिमिटेड के प्रमुख अनिल कुमार झा को एक पत्र लिखकर बताया है कि रेलवे के बजाए सड़क मार्ग से कोयले की ढुलाई करने से बिजली उत्पादक कंपनियों को 25% अधिक लागत का भुगतान करना पड़ रहा है। एसोसिएशन ने कहा कि प्रतिदिन 45 रैक की मांग है लेकिन कोरबा क्षेत्र रोजाना महज 25 रैक ही भर पा रहा है। एसोसिएशन का कहना है कि रेलवे के जरिए आपूर्ति कम होने के कारण उन्हें ट्रक से कोयला मंगवाने का महंगा माध्यम चुनने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ट्रेन के एक रैक में 4000 टन कोयले की ढुलाई संभव है। इसका मतलब हुआ कि प्रति रैक की भरपाई के लिए 30 टन ढोने की क्षमता वाले 135 ट्रकों की जरूरत होगी।
एसोसिएशन ने कहा कि कोयला ढुलाई पर अधिक खर्च का वहन अंततः आम लोगों को ही करना पड़ता है। एसोसिएशन ने यह पत्र एचपीसीएल (Hindustan Petroleum Corporation Limited) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एपी पांडा और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव को भी भेजा है।
कोल इंडिया का उत्पादन मई में 1.1 फीसदी घटा
कोलकाता। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने रविवार को कहा कि उसका उत्पादन चालू वित्त वर्ष के दौरान बीते महीने मई में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 1.1 फीसदी घटकर 465.9 लाख टन रह गया। पिछले साल मई में कोल इंडिया का उत्पादन 471.2 लाख टन था। कंपनी उठाव भी वित्त वर्ष 2019-20 के पहले महीने अप्रैल में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 1.4 फीसदी घटकर 520.9 लाख टन रह गया। पिछले साल अप्रैल में कंपनी का उठाव 528.1 लाख टन था।