नई दिल्ली। केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने बिजली उपभोक्ताओं को उनके मूलभूत अधिकार प्रदान करने के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है। यह ड्राफ्ट पूरे देश में विश्वसनीय बिजली आपूर्ति को सुनिश्चित करेगा। पावर सेक्टर में सुधार लाने के लिए मोदी सरकार ने यह ड्राफ्ट तैयार किया है। इस ड्राफ्ट में सब्सिडी का बेहतर उपयोग करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर स्कीम लागू करने, रिटेल प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और सरकारी बिजली वितरण कंपनियों के वित्तीय स्वास्थ्य को सुधारने का प्रावधान किया गया है।
इस ड्राफ्ट का मुख्य फीचर सेवा का भरोसा है। राज्य विद्युत नियामक आयोग डिस्कॉम के लिए प्रति उपभोक्ता प्रति वर्ष औसत बिजली कटौती की सीमा तय कर पाएंगे। डिस्कॉम द्वारा सेवा में देरी के लिए मुआवजा या जुर्माना लगाया जाएगा।
ड्राफ्ट में कहा गया है कि बिजली उपभोक्ता पावर सेक्टर के सबसे महत्वपूर्ण प्रतिभागी हैं। यह सेक्टर उन्हीं की वजह से है। सभी नागरिकों को बिजली उपलब्ध कराने के लिए, अब यह महत्वपूर्ण है कि उपभोक्ता संतुष्टि पर भी ध्यान दिया जाए। इसके लिए यह आवश्यक है कि मुख्य सेवाओं की पहचान की जाए, न्यूनतम सेवा स्तर और मानकों को परिभाषित किया जाए और इन्हें उपभोक्ता अधिकार के रूप में स्थापित किया जाए।
इलेक्ट्रिसिटी (राइट्स ऑफ कंज्यूमर) रूल्स, 2020 में समयबद्ध और आसान बिजली कनेक्शन प्रक्रिया का भी प्रावधान किया गया है। 1000 रुपये से अधिक के बिजली बिल का भुगतान ऑनलाइन करना अनिवार्य किया जाएगा। सरकार ने कहा है कि उपभोक्ताओं को पर्याप्त बिजली उपलब्ध न कराने के लिए बिजली वितरण कंपनी का लाइसेंस रद्द किया जाएगा और उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा।
बिजली मंत्री आरके सिंह ने कहा कि यह नियम बिजली उपभोक्ताओं को उनके अधिकार के प्रति सशक्त बनाएंगे और उन्हें पर्याप्त बिजली हासिल करने का मूलभूत अधिकार प्रदान करेंगे।