नयी दिल्ली। वितरण कंपनियों पर बिजली उत्पादकों का बकाया इस साल जून महीने के अंत में एक साल पहले की तुलना में 30 प्रतिशत से भी अधिक बढ़कर 46,412 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। बिजली मंत्रालय की प्राप्ति पोर्टल के अनुसार यह बकाया जून 2018 के अंत में 34,465 करोड़ रुपये था। उत्पादक और वितरण कंपनियों के बीच बिजली खरीद सौदों में पारदर्शिता लाने के इरादे से पोर्टल की शुरूआत मई 2018 में हुई। इस साल जून में उत्पादन कंपनियों द्वारा दी गयी 60 दिन की मोहलत के बाद भी वितरण कंपनियों ऊपर बकाया राशि 30,552 करोड़ रुपये रही जो पिछले साल इसी महीने में 21,739 करोड़ रुपये थी।
बिजली उत्पादक कंपनियां बिजली की आपूर्ति के लिये बिलों के भुगतान को लेकर बिजली वितरकों को 60 दिन का समय देती हैं। उसके बाद बाया राशि पुराने बकायों की श्रेणी में आ जाती है और उस पर उत्पादक ज्यादातर मामलों में दंड ब्याज लगाते हैं। बिजली उत्पादन कंपनियों को राहत देने के लिये केंद्र ने एक अगस्त 2019 से भुगतान सुरक्षा प्रणाली लागू की। इस व्यवस्था के तहत वितरण कंपनियों को बिजली आपूर्ति के लिये साख पत्रों की व्यवस्था करने की जरूरत है।
पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़े के अनुसार भुगतान के लिए 60 दिन की मोहलत खत्म होने के बाद भी बिजली की नहीं चुकाई गयी राशि इससे पिछले महीने की तुलना में बढ़ी है। मई 2019 के अंत में बिजली वितरण कंपनियों पर बिजली उत्पादकों का ऐसा कुल बकाया 43,814 करोड़ रुपये था। इसमें बकाये थे जबकि 60 दिन की मोहलत के बाद भी बकाया राशि 25,660 करोड़ रुपये थी।
जिन बिजली वितरण कंपनियों पर सर्वाधिक बकाया है, उसमें तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और जम्मू कश्मीर की वितरण इकाइयां शामिल हैं। वे भुगतान में 839 दिन तक का समय ले रही हैं। मध्य प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियां भुगतान में सर्वाधिक 839 दिनों का समय ले रही हैं और इस मामले में पहले पायदान पर है। उसके बाद क्रमश: बिहार (789 दिन), आंध्र प्रदेश (787 दिन), हरियाणा (787 दिन), तेलंगाना (767 दिन), कर्नाटक (761 दिन), तमिलनाडु (760 दिन), पंजाब (757 दिन) और जम्मू कश्मीर (756 दिन) शामिल हैं। कुल लंबित बकाये 30,552 करोड़ रुपये में स्वतंत्र बिजली उत्पादकों की हिस्सेदारी 62.27 प्रतिशत है।
सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली उत्पादक कंपनियों में एनटीपीसी का वितरण कंपनियों पर 6,3412.94 करोड़ रुपये, एनएलसी इंडिया का 4,604 करोड़ रुपये, टीएचडीसी इंडिया 1,971.73 करोड़ रुपये, एनएचपीसी का 1,963.71 करोड़ रुपये तथा दामोदर घाटी निगम का 843.79 करोड़ रुपये बकाया है। जिन बिजली वितरण कंपनियों पर सर्वाधिक बकाया है, उसमें अडाणी पावर (3,201.68 करोड़ रुपये), बजाज समूह के स्वामित्व वाली ललितपुर पावर जनरेशन कंपनी (1,980.26 करोड़ रुपये) तथा जीएमआर (1,733.18 करोड़ रुपये) शामिल हैं।