Saturday, November 02, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. Power Crisis: रिकॉर्ड उत्पादन के बाद भी कोयला संकट, क्यों बनी आधे भारत में बिजली गुल होने की स्थिति

Power Crisis: रिकॉर्ड उत्पादन के बाद भी कोयला संकट, क्यों बनी आधे भारत में बिजली गुल होने की स्थिति

सरकार के मुताबिक कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमतों और बारिश की वजह से देश की कोयला खदानों में कामकाज पर असर से बिजली उत्पादन घटा है, लेकिन उम्मीद है कि यह स्थिति 3-4 दिन में ठीक हो जायेगी।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: October 11, 2021 10:51 IST
कोयले की कमी से...- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

कोयले की कमी से त्योहारों के दौरान बिजली संकट की आशंका

नई दिल्ली। त्योहारों के सीजन में हो सकता है कि राजधानी सहित आधे भारत को दिये या मोमबत्ती के भरोसे ही रात निकालनी पड़े। दरअसल दुनिया भर में कोयला संकट गहराता जा रहा है, और इसका असर अब भारत में दिखने की आशंका बन गय़ी। स्थिति ये है कि बिजली सप्लाई करने वाले कई बिजली संयंत्रों में नियमों के मुताबिक कम से कम 20-20 दिन के कोयला स्टॉक की जगह सिर्फ एक से दो दिन का स्टॉक ही बचा है। हालांकि केन्द्र सरकार से लेकर कोयला उत्पादक कंपनियों के मैनेजमेंट ने उम्मीद जताई है कि कोयला सप्लाई बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं और इस हफ्ते से स्थिति सुधर सकती है। खास बात ये है कि इस साल देश में रिकॉर्ड कोयला उत्पादन हुआ है, लेकिन वापसी के मामले में लेट लतीफ मानसून ने बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ने के सरकार के सपने पर कम से कम इस साल पानी फेर दिया है। 

क्या है वर्तमान की स्थिति

दिल्ली सरकार ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर बढ़ते बिजली संकट से निपटने के लिये कदम उठाने को कहा है। दिल्ली सरकार के मुताबिक बिजली उत्पादन संयंत्रों में एक से दो दिन के लिये ही कोयला स्टॉक बचा है, इसके बाद दिल्ली में बिजली संकट पैदा हो सकता है। पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड ने जानकारी दी है कि उसके बिजली संयंत्र क्षमता से कम पर काम कर रहे हैं। शनिवार को दी गयी जानकारी के मुताबिक राज्य में बिजली संयंत्रों के पास अब पांच दिन तक का ही कोयला भंडार बचा है। प्रदेश में कई जगहों पर बिजली कटौती की भी खबरें हैं। इसके साथ ही बीते एक दिन में राजस्थान में 3.7 करोड़ यूनिट, उत्तर प्रदेश में 2.2 करोड़ यूनिट, बिहार में 1.2 करोड़ यूनिट, हरियाणा में 92 लाख यूनिट और पंजाब में 88 लाख यूनिट बिजली की कमी दर्ज की जा चुकी है। उत्तर प्रदेश में शनिवार तक मिली जानकारी के मुताबिक कोयले की कमी से 8 प्रोडक्शन यूनिट बंद हो चुकी हैं। मध्य प्रदेश में उत्पादन मांग के मुकाबले आधे से नीचे आ चुका है। वहीं राजस्थान में जरूरत के मुकाबले 70 प्रतिशत से कम ही कोयला उपलब्ध हो रहा है, जिससे 7 यूनिट में उत्पादन नहीं हो रहा है। पूरे भारत पर नजर डालें तो गुजरात, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और तमिलनाडु समेत कई राज्यों में बिजली उत्पादन पर गहरा असर पड़ा है। वहीं पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, झारखंड, बिहार और आंध्रप्रदेश में भी बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है। साथ ही बिजली उत्पादक और वितरक कोयले के सीमित भंडार की वजह से बिजली कटौती की चेतावनी पहले ही दे चुके हैं। 

क्या है देश में कोयले के उत्पादन और सप्लाई की स्थिति
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कोयला उत्पादक देश भारत में इस वर्ष अब तक कोयले का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। कोयला मंत्रालय ने अनुमान दिया है देश में कोयला उत्पादन के संकेत देखते हुए उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष में 70 करोड़ टन से ज्यादा का कोयला उत्पादित होगा।  हालांकि सरकार भी मानती है कि ये देश की जरूरत पूरी करने के लिये काफी नहीं है। इस साल के शुरुआत में सरकार ने साफ कहा था कि देश में कोयले का मौजूदा उत्पादन घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इस लिये सरकार कोयला खनन नीतियों से लेकर तकनीकों में सुधार कर उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रही है। पिछले साल भारत ने 24.7 करोड़ टन कोयले का आयात किया था, और इस पर 1.58 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च की थी। हालांकि इस साल कीमतों के दो गुना से ज्यादा बढ़ने की वजह से आयात पर असर देखने को मिल रहा है। वहीं मंत्रालय ने जानकारी दी है कि देश में प्रति दिन की बिजली मांग 4 अरब यूनिट को पार कर चुकी है और इसमें से 70 प्रतिशत तक बिजली कोयला आधारित संयंत्रों से पूरी की जा रही है। 

क्यों बनी देश में बिजली संकट की स्थिति

  • बिजली मंत्रालय के मुताबिक एक से ज्यादा वजहों के एक साथ सामने आने से देश में बिजली संकट की आशंका बनी हैं, एक रिलीज जारी कर मंत्रालय ने ऐसी 4 स्थितियां गिनाई हैं जिससे संकट बना है। 
  • मंत्रालय के मुताबिक पहली वजह में अर्थव्यवस्था में तेज उछाल के बाद बिजली की मांग में तेज बढ़ोतरी से दबाव है। 
  • वहीं दूसरी तरफ इस साल मॉनसून के लौटने में देरी देखने को मिली है, जिससे कोयला खदान क्षेत्रों में बारिश से कोयला उत्पादन और संयंत्रों तक कोयला पहुंचाने पर बुरा असर देखने को मिला। 
  • तीसरी वजह कोयले की विदेशी बाजारों में कीमतों के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचना रही, लागत बढ़ने से आयातित कोयले पर चलने वाले संयंत्रों के कामकाज पर असर देखने को मिला है। टाटा पावर ने गुजरात के मुंद्रा में अपने आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्र से उत्पादन बंद कर दिया है।  वहीं अडाणी पावर की मुंद्रा इकाई को भी इसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। 
  •  वहीं चौथी वजह मॉनसून के लौटने से पहले कोयले का पर्याप्त स्टॉक न तैयार हो पाना है।  

क्या है सरकार का कहना
कोयला संकट के बीच केंद्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने  कहा कि कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि के कारण बिजली उत्पादन घटा है लेकिन यह स्थिति तीन-चार दिन में ठीक हो जायेगी । जोशी ने कहा, ‘‘हम अगर आप पिछले कई वर्षों से तुलना करेंगे तो सितंबर माह के दौरान कोयला का उत्पादन और आपूर्ति उच्चतम स्तर पर हुयी है और विशेष कर अक्टूबर महीने के दौरान, इसे देखते हुए आने वाले समय में स्थिति सुधरने की उम्मीद है। उनके मुताबिक आयातित कोयले का इस्तेमाल करने वाले बिजली संयंत्रों ने बिजली उत्पादन बंद कर दिया। इसलिए बिजली उत्पादन का पूरा भार अब घरेलू कोयले पर है। जिसकी सप्लाई पर फिलहाल असर है। सरकार ने भरोसा दिलाया है कि कोयले की सप्लाई को सामान्य करने की कोशिशें तेजी के साथ जारी हैं, और जल्द ही बिजली संयंत्र जरूरत के मुताबिक उत्पादन करने लगेंगे।  

यह भी पढ़ें: Petrol Diesel Price: पेट्रोल और डीजल आज फिर हुआ महंगा, जानिये आपके शहर में कहां पहुंची कीमतें

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement