नई दिल्ली। जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की सूचीबद्धता के बाद 60 प्रतिशत बीमा कारोबार बाजार में लिस्ट कंपनियों के पास आ जाएगा। वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अमित अग्रवाल ने शनिवार को यह बात कही। मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने जुलाई में एलआईसी की सूचीबद्धता को सैद्धान्तिक मंजूरी दी है। एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से सरकार को चालू वित्त वर्ष में 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।
बीमा क्षेत्र में तेज ग्रोथ
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतिरिक्त सचिव ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत एक उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हो रहा है। हमारी वित्तीय प्रणाली परिपक्व, गहराई वाली हो चुकी है और एक स्तर तक पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि बीमा क्षेत्र को प्रतिस्पर्धा के लिए खोलने के बाद यह परिपक्व हुआ है। आज बीमा कंपनियों की संख्या 69 पर पहुंच चुकी है जो 2000 में सिर्फ आठ थी। अग्रवाल ने कहा, ‘‘एलआईसी की प्रस्तावित सूचीबद्धता पूरी होने के बाद बीमा उद्योग का 60 प्रतिशत कारोबार सूचीबद्ध कंपनियों के पास आ जाएगा। यह क्षेत्र कुल अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक तेजी से आगे बढ़ रहा है।’’
इश्यू में पॉलिसीधारकों को मिलेगी छूट
संसद के मानसून सत्र में सरकार ने कहा है कि एलआईसी अपने आईपीओ में ग्राहकों के लिए अलग से कोटा तय कर सकती है. इश्यू साइज का 10 फीसदी हिस्सा पॉलिसीधारकों के लिए रिजर्व हो सकता है। मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक यानी 31 मार्च 2021 तक एलआईसी का आईपीओ आ सकता है. इसके अलावा डेलॉयट और एसबीआई कैप्स को प्री-आईपीओ ट्रांजैक्शन एडवाइजर्स के तौर पर नियुक्त कर दिया गया है। माना जा रहा है कि LIC का आईपीओ देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा. अनुमान लगाया गया है कि यह 90,000 करोड़ रुपये से 1 लाख करोड़ रुपये तक जा सकता है। जानकार मान रहे हैं कि लिस्टिंग के बाद एलआईसी आसानी से देश की टॉप 3 बड़ी कंपनियों में शामिल हो सकती है।
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