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नोटबंदी के पांच साल बाद भी नहीं हुआ लक्ष्‍य पूरा, चलन में नोटों की संख्‍या बढ़ी

अक्टूबर 2021 में, मूल्य के मामले में यूपीआई के जरिये 7.71 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया। अक्टूबर में यूपीआई के माध्यम से 421 करोड़ लेनदेन किए गए।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: November 08, 2021 13:06 IST
Post demonetisation, notes in circulation on rise so are digital payments- India TV Paisa
Photo:PTI

Post demonetisation, notes in circulation on rise so are digital payments

नई दिल्‍ली। नोटबंदी (demonetisation) के पांच साल बाद डिजिटल भुगतान में वृद्धि के बावजूद चलन में नोटों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। हालांकि, वृद्धि की रफ्तार धीमी है। दरअसल, कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों ने एहतियात के रूप में नकदी रखना बेहतर समझा। इसी कारण चलन में बैंक नोट पिछले वित्त वर्ष के दौरान बढ़ गए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार डेबिट/क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) जैसे माध्यमों से डिजिटल भुगतान में भी बड़ी वृद्धि हुई है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) का यूपीआई देश में भुगतान के एक प्रमुख माध्यम के रूप में तेजी से उभर रहा है। इन सबके बावजूद चलन में नोटों का बढ़ना धीमी गति से ही सही, लेकिन जारी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को आधी रात से 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी, जो उस समय चलन में थे। इस निर्णय का प्रमुख उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और काले धन पर अंकुश लगाना था। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, मूल्य के हिसाब से चार नवंबर, 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे, जो 29 अक्टूबर, 2021 को बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गए। आरबीआई के मुताबिक, 30 अक्टूबर, 2020 तक चलन में नोटों का मूल्य 26.88 लाख करोड़ रुपये था। 29 अक्टूबर, 2021 तक इसमें 2,28,963 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई। वही सालाना आधार पर 30 अक्टूबर, 2020 को इसमें 4,57,059 करोड़ रुपये और इससे एक साल पहले एक नवंबर, 2019 को 2,84,451 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई थी।

इसके अलावा चलन में बैंक नोटों के मूल्य और मात्रा में 2020-21 के दौरान क्रमशः 16.8 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि 2019-20 के दौरान इसमें क्रमशः 14.7 प्रतिशत और 6.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी। वित्त वर्ष 2020-21 में चलन में बैंक नोटों की संख्या में बढ़ोतरी की वजह महामारी रही। महामारी के दौरान लोगों ने सावधानी के तौर पर अपने पास नकदी रखी। 

यूपीआई को 2016 में शुरू किया गया था और मासिक आधार पर इसके जरिये लेनदेन में धीरे-धीरे वृद्धि देखी गई। अक्‍टूबर 2021 में, मूल्‍य के मामले में यूपीआई के जरिये 7.71 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया। अक्‍टूबर में यूपीआई के माध्‍यम से 421 करोड़ लेनदेन किए गए।  

पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने के बाद सरकार ने 2000 रुपये का एक नया नोट जारी किया था। इसके अलावा सरकार ने 500 रुपये के नोटों की एक नई सीरीज भी पेश की। इसके बाद सरकार ने 200 रुपये के नोट की भी एक नई सीरीज जारी की। 31 मार्च, 2021 तक चलन में कुल बैंकनोट्स में 500 और 2000 रुपये के बैंकनोट की संयुक्‍त हिस्‍सेदारी 85.7 प्रतिशत थी। 2019-20 और 2020-21 के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड और सिक्‍यूरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को 2000 रुपये का नोट छापने का कोई निर्देश नहीं दिया गया। भारतीय रिजर्व बैंक 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये के बैंक नोट का मुद्रण करता है।

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