वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों के माध्यम से 6,990.40 लाख टन माल की ढुलाई की गयी। यह वित्त वर्ष 2017-18 की तुलना में 2.90 प्रतिशत अधिक है। इंडियन पोर्ट्स एसोसिएशन (आईपीए) के आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली है। आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में इन 12 बंदरगाहों ने 6,793.70 लाख टन माल चढ़ाया और उतारा। यह 2016-17 की तुलना में 4.77 प्रतिशत अधिक रहा था। इन 12 बंदरगाहों में दीनदयाल (पुराना नाम कांडला), मुंबई, जेएनपीटी, मरमुगांव, न्यू मंगलोर, कोचिन, चेन्नई, कमराजार (पुराना नाम एन्नोर), वीओ चिंदबरनार, विशाखापत्तनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया समेत) शामिल हैं।
एसोसिएशन ने कहा कि कोयला, कंटेनर्स, उर्वरक तथा पेट्रोलियम, तेल एवं लुब्रिकेंट समेत विभिन्न क्षेत्रों की मांग बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ी है। कोकिंग कोयले की आवाजाही 14.25 प्रतिशत बढ़कर 575 लाख टन और बिजली संयंत्रों के कोयले की आवाजाही नौ प्रतिशत बढ़ी। तैयार उर्वरक की आवाजाही 9.69 प्रतिशत और कंटेनर्स की आवाजाही 8.84 प्रतिशत बढ़ी।
आंकड़ों के अनुसार, कांडला बंदरगाह ने सर्वाधिक 1,154 लाख टन माल की चढ़ाया और उतारा। इसके बाद पारादीप ने 1,092.70 लाख टन, जेएनपीटी ने 707 लाख टन, विशाखापत्तनम ने 653 लाख टन, कोलकाता एवं हल्दिया ने 637.10 लाख टन और मुंबई ने 605.80 लाख टन माल चढ़ाया और उतारा। इस दौरान चेन्नई ने 530.10 लाख टन और न्यू मंगलोर ने 425 लाख टन माल चढ़ाया और उतारा। ये 12 मुख्य बंदरगाह देश के सभी बंदरगाहों की माल आवाजाही में करीब 60 प्रतिशत योगदान देते हैं। इन 12 बंदरगाहों का नियंत्रण केंद्र सरकार करती है। राज्य सरकारों तथा निजी क्षेत्र के करीब 200 छोटे बंदरगाहों पर माल की आवाजाही 2014-15 से ही लगातार गिर रही है।