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सेबी ने कोर्ट से कहा, प्रतिबंधित पोंजी स्कीम हमारे नियमन के दायरे में नहीं

सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रतिबंधित पोंजी स्कीम उसके नियमन के दायरे में नहीं आती हैं। सिर्फ संबंधित राज्य सरकारें उनका नियंत्रण कर सकती हैं।

Dharmender Chaudhary
Updated on: August 09, 2016 12:10 IST
सेबी ने कोर्ट से कहा, प्रतिबंधित पोंजी स्कीम हमारे नियम के दायरे में नहीं, राज्य सरकारें कर सकती हैं नियंत्रण- India TV Paisa
सेबी ने कोर्ट से कहा, प्रतिबंधित पोंजी स्कीम हमारे नियम के दायरे में नहीं, राज्य सरकारें कर सकती हैं नियंत्रण

नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रतिबंधित पोंजी स्कीम उसके नियमन के दायरे में नहीं आती हैं। सेबी ने कहा कि सिर्फ संबंधित राज्य सरकारें उनका नियंत्रण कर सकती हैं। शेयर बाजार नियामक ने यह भी कहा कि इस तरह की प्रतिबंधित गतिविधियां किसी नियामक के नियमन के तहत नहीं आती। यदि इस तरह की योजनाओं के बारे में बताया जाता है या फिर स्वत: संग्यान लिया जाता है, तो इन्हें सिर्फ रोका जा सकता है।

सेबी ने एक हलफनामे में कहा, पोंजी योजनाएं सेबी के नियमन के दायरे में नहीं आती। इन्हें चिट फंड एंड मनी सर्कुलेशन (बैनिंग) कानून, 1978 के तहत प्रतिबंधित किया जाता है और संबंधित कानून के लिए संबद्ध राज्य सरकार प्रवर्तन एजेंसी हैं। नियामक ने हलफनामे में कहा कि सिर्फ उसके दायरे में सिर्फ सामूहिक निवेश योजनाएं (सीआईएस) आती हैं और और ये भी पंजीकरण न होने पर सिर्फ रोकी जा सकती हैं।  सेबी ने कहा कि प्रतिबंधित गतिविधियों का किसी नियामक द्वारा नियमन नहीं किया जाता। सिर्फ जानकारी मिलने पर इन्हें रोका जा सकता है।

सेबी के दायरे के तहत सीआईएस प्रतिबंधित गतिविधि नहीं है, सिर्फ पंजीकरण अनुमति से ही इनकी मंजूरी दी जा सकती है। यदि इन योजनाओं का पंजीकरण नहीं हुआ है तो इनके परिचालन की अनुमति नहीं दी जा सकती और इन्हें रोका जाता है। एनजीओ ह्यूमैनिटी साल्ट लेक द्वारा दायर जनहित याचिका के जवाब पर सेबी ने यह बातें कहीं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि चिट फंड और देशभर में घोटालों को रोकने में सरकार ने तत्परता नहीं दिखाई है। केंद्र ने न्यायालय में पोंजी योजनाओं को रोकने के लिए उठाए कदमों की जानकारी दी

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