मुंबई। विवादों में घिरे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) के पूर्व प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस ने कथित तौर पर रिजर्व बैंक के आगे स्वीकार किया कि दिवालिया हो चुकी कंपनी एचडीआईएल को 6,500 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण दिये गये थे। यह नियामकीय सीमा का चार गुणा तथा बैंक के 8,880 करोड़ रुपए के कुल ऋण का 73 प्रतिशत था। मामले से जुड़े एक सूत्र के अनुसार, यह बात तब स्वीकार की गयी है जब निदेशक मंडल के एक सदस्य ने वास्तविक बैलेंस शीट रिजर्व बैंक तक पहुंचा दी।
पीटीआई भाषा से इस संबंध में एचडीआईएल को ईमेल भेजकर उसका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन अभी तक कोई उत्तर नहीं मिला है। बैंक के पूर्व चेयरमैन वरयाम सिंह और थामस से फिलहाल संपर्क नहीं हो सका है। सूत्र ने पीटीआई भाषा को बताया कि निदेशक मंडल के एक सदस्य ने खुद ही रिजर्व बैंक को एचडीआईएल को दिए गए ऋण की स्थित चुपके से बता दी। इससे थामस को गलती स्वीकारने पर मजबूर होना पड़ा। एचडीआईएल को दिया गया कर्ज दो तीन साल से अवरुद्ध सम्पत्तियों (एनपीए) की सूची में डाल दिया गया है।
सूत्र ने बताया कि थॉमस ने रिजर्व बैंक को साढ़े चार पन्ने का पत्र लिखा है। इसमें थॉमस ने बताया है कि कैसे उसने वरयाम सिंह तथा निदेशक मंडल के कुछ सदस्यों समेत छह लोगों के साथ मिलकर एचडीआईएल समूह को ऋण आवंटित करने की मंजूरी दी। सूत्र के अनुसार, थॉमस ने यह भी माना कि निदेशक मंडल के अधिकांश सदस्यों को इस बारे में जानकारी नहीं थी। सूत्र ने कहा, 'थॉमस ने माना कि एचडीआईएल समूह को दिया गया ऋण 19 सितंबर 2019 को 6,500 करोड़ रुपये से अधिक था, जो 19 सितंबर 2019 तक बैंक के 8,880 करोड़ रुपये के कुल ऋण का 73 प्रतिशत है।' थॉमस ने पत्र में यह भी स्वीकार किया कि बैंक का कुल एनपीए 60 से 70 प्रतिशत है।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक अभी बैंक के बैलेंस शीट की जांच कर रही है। यदि एनपीए थॉमस की स्वीकारोक्ति के अनुसार रही तो यह बैंकिंग क्षेत्र में अब तक का सर्वोच्च स्तर होगा। रिजर्व बैंक ने इस बैंक के कारोबार पर पाबंदी लगा दी है। इसके तहत कोई खातेदार अब इस अवधि में 10000 रुपए से ज्यादा की निकासी नहीं कर सकता। पहले यह सीमा 1000 ही रखी गयी थी। आरबीआई ने इसके निदेशक मंडल को भंग कर उस पर प्रशासक (जेबी भेरिया) को बिठा दिया है।