नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गांधीनगर में आयोजित हो रहे तीन दिवसीय विश्व आलू सम्मेलन-2020 का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन करते हुए कहा कि बीते दो दशकों में गुजरात देश में आलू का उत्पादन और निर्यात का हब बनकर उभरा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आलू की उत्पादकता के मामले में गुजरात देश का पहले नंबर का राज्य है और प्रदेश के किसान इसलिए अभिनंदन के अधिकारी हैं।
वर्तमान में सबसे ज्यादा आलू का निर्यात गुजरात से होता है, उसके बाद उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों का स्थान है। देश से तकरीबन चार लाख टन आलू निर्यात होता है, जिसमें करीब एक लाख टन यानी 25 प्रतिशत आलू गुजरात से निर्यात किया जाता है। बीते 10-11 साल में जहां भारत का कुल आलू उत्पादन 20 प्रतिशत की दर से बढ़ा है, वहीं गुजरात में 170 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात में आलू उत्पादन की क्वांटिटी और क्वालिटी में यह वृद्धि बीते दो दशक में की गई नीतिगत पहल, नीगितगत फैसले और सिंचाई की आधुनिक और पर्याप्त सुविधाओं के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि बेहतर नीतिगत फैसलों के कारण आज देश के बड़े आलू प्रसंस्करण इकाइयां गुजरात में हैं और ज्यादातर आलू निर्यात भी गुजरात से होता है।
उन्होंने कहा कि गुजरात में कोल्ड स्टोरेज का एक बड़ा और आधुनिक नेटवर्क है, जिनमें अनेक विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। साथ ही, सुजलां सुफलां और सौणी योजना के माध्यम से गुजरात के उन क्षेत्रों में भी सिंचाई की सुविधा पहुंची है जो कभी सूखे से प्रभावित रहते थे।
भारत नेपाल, श्रीलंका, ओमान, इंडोनेशिया, मलेशिया, मॉरीशस जैसे देशों को आलू निर्यात करता है। इनमें सबसे ज्यादा निर्यात नेपाल को होता है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है, जहां तकरीबन 140 लाख टन आलू का उत्पादन होता है। इसके बाद पश्चिम बंगाल में करीब 120 लाख टन और बिहार में 90-100 लाख टन आलू का उत्पादन होता है।
उन्होंने बताया कि पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और मध्यप्रदेश में ऐसे उत्पादक क्षेत्रों को चिन्हित किया जा रहा है, जो पेस्ट फ्री जोन हैं। मतलब जहां आलू पर विनाशकारी कीट का प्रकोप नहीं है और वहां का आलू दुनिया के देशों को निर्यात किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि देश में आलू का निर्यात की काफी संभावना है और निर्यात बढ़ने से किसानों को उनकी फसल का अच्छा भाव मिलेगा।