नई दिल्ली। बिजली की कमी से जूझते शहरों और गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नया रास्ता निकाला है। PM मोदी ने इस रास्ते को ‘प्रकाश पथ’ का नाम दिया है। इस साल जनवरी में मोदी ने ऊर्जा संरक्षण के लिए लाइट इमीटिंग डायोड (LED) बल्ब का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने का आह्वान किया था। मोदी ने एलईडी बल्ब को ‘प्रकाश पथ’ का नाम दिया था। उस समय उन्होंने कहा था कि बिजली पैदा करने से ज्यादा किफायती है बिजली की बचत करना। इस योजना के जरिये सरकार का लक्ष्य बिजली की बचत कर हर घर में बिजली पहुंचाने का तो है ही, इसके अलावा इसके जरिये इंपोर्ट बिल को कम करना और पर्यावरण को बचाना भी एक उद्देश्य है।
LED बल्ब में होती है 80 फीसदी कम बिजली खपत
पीएम मोदी ने देश में लाइटिंग का रास्ता बदलने के लिए एक नया कार्यक्रम इस साल जनवरी में शुरू किया है। इसका नाम नेशनल प्रोग्राम फॉर एलईडी-बेस्ड होम एंड स्ट्रीट लाइटिंग है। इस योजना का उद्देश्य अधिक बिजली की खपत वाले पारंपरिक बल्बों के स्थान पर देश के सभी घरों और सड़कों पर LED (लाइट इमीटिंग डायोड) बल्ब का उपयोग ज्यादा से ज्यादा सुनिश्चित करना है। एलईडी बल्ब पारंपरिक बल्ब की तुलना में 80 फीसदी कम बिजली खर्च करते हैं। भारत में सालाना बिजली की कमी 3.6 फीसदी है और इस स्थिति में बिजली बचाना सरकार के लिए बहुत जरूरी भी है।
100 अरब किलोवाट बिजली की होगी बचत
नई योजना के तहत सरकार 100 शहरों में मई 2016 तक सभी स्ट्रीट लैम्प्स में एलईडी बल्ब लगाना चाहती है। इस योजना के लिए सरकार ने 2500 करोड़ रुपए का बजट भी आवंटित किया है। इस योजना को लॉन्च हुए 10 महीने हो चुके हैं और इसके अच्छे परिणाम भी अब दिखाई पड़ने लगे हैं। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एलईडी बल्ब का प्रोडक्शन पिछले साल की तुलना में 30 फीसदी बढ़कर प्रति माह 3 करोड़ यूनिट हो गया है। सरकार का मानना है कि यदि हर साल खरीदे जाने वाले 7.7 करोड़ पारंपरिक बल्बों को इन एलईडी बल्बों से बदल दिया जाए तो सालाना 100 अरब किलोवाट बिजली बचाई जा सकती है।
सरकार के प्रयासों से एलईडी बल्की कीमतों में आई भारी कमी
एलईडी बल्ब की बेहतर सेल्फ लाइफ है। एलईडी बल्ब की सेल्फ लाइफ सामान्य बल्ब की तुलना में लगभग 50 गुना और कॉम्पैक्ट फ्लोरेसेंट लैम्प (सीएफएल) की तुलना में 8-10 गुना ज्यादा होती है। लेकिन यह काफी महंगे होते हैं। एनटीपीसी, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन और पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ने ज्वाइंट वेंचर के जरिये एनर्जी एफिशियंसी सर्विसेस लिमिटेड (ईईएसएल) का गठन किया है। सरकार ईईएसएल के जरिये प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के तहत एलईडी बल्क की खरीद कर रही है और इन बल्बों को उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर उपलब्ध करवा रही है। इससे एलईडी बल्ब की बाजार कीमतो में भारी कमी आई है। पिछले एक साल में एलईडी बल्ब का उत्पादन बढ़ने से प्रति यूनिट लागत भी काफी कम हुई है। 7 वाट एलईडी बल्ब की कीमत तकरीबन 100 रुपए पर आ गई है, जो एक साल पहले 650 रुपए थी। इसकी तुलना में एक पारंपरिक बल्क की कीमत केवल 20 रुपए है।
एलईडी की थोक खरीद
अमेरिका के ऊर्जा मंत्री अर्नेस्ट मोनिज ने पेरिस में आयोजित जलवायु सम्मेलन में कहा कि भारत ने एलईडी बल्बों की थोक खरीद की है, जिसमें ताजा ऑर्डर कुछ करोड़ बल्ब का है। इन बल्बों को ग्रामीण इलाकों में बांटा जाएगा, ताकि लागत कम की जा सके। उन्होंने कहा कि भारत एलईडी की थोक खरीद कर रहा है। भारत ने तीन साल में कुछ करोड़ एलईडी खरीदने का आॅर्डर दिया है। इससे एलईडी की लागत घटकर एक डाॅलर से कम हो गई है। मोनिज ने कहा कि इस तरह की व्यवस्था पांसा पलटने वाली साबित होगी और उन परिवारों की जिंदगी बदल जाएगी, जो अीाी अंधेरे में जीवन बिता रहे हैं।
उपभोक्ता दो तरीके से खरीद सकते हैं एलईडी बल्ब
उपभोक्ता दो तरीके से एलईडी बल्ब खरीद सकता है। पहला अपफ्रंट पेमेंट और दूसरा ऑन-बिल फाइनेंस स्कीम। डीईएलपी (डोमेस्टिक एफिशिएंट लाइटिंग प्रोग्राम) के तहत एलईडी बल्ब की कुल लागत 100 से 105 रुपए है। यदि उपभोक्ता बल्ब ऑन-बिल फाइनेंशिंग विकल्प को चुनते हैं तो उन्हें प्रत्येक बल्ब के लिए केवल 10 रुपए का भुगतान करना होगा और बाकी 95 रुपए बिजली बिल में जोड़कर लिए जाएंगे, यह राशि को देने की समयावधि भी 10 महीने होगी।
बिजली आपूर्ति और मांग में है भारी अंतर
बिजली संकट से जूझते भारत के लिए बिजली बचाने वाली यह योजना काफी महत्वपूर्ण है। भारत में वार्षिक बिजली की कमी 3.6 फीसदी है। एशिया की इस तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को अपनी विकास महात्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए अतिरिक्त बिजली की बहुत आवश्यकता है। मोदी सरकार ने तेज इकोनॉमिक रिकवरी और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, विशेषकर पावर सेक्टर में, देने का वादा किया है। पीएम मोदी ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि उनकी सरकार का सपना सप्ताह में सात दिन, साल में 365 दिन, दिन में 24 घंटे प्रत्येक गांव में बिजली उपलब्ध करवाना है। इस सपने को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रिन्यूएबल एनर्जी, विशेषकर सोलर पावर, पर विशेष जोर दे रहे हैं, उन्होंने 2022 तक 100 गीगावाट सोलर पावर पैदा करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है।