नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बड़े बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के प्रमुखों के साथ बैठक करेंगे। बैठक में वह कोरोना वायरस संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था की स्थिति का जायजा लेंगे। आधिकारिक बयान के अनुसार प्रधानमंत्री बैंकों और एनबीएफसी प्रमुखों के साथ भविष्य के दृष्टिकोण एवं रूपरेखा पर चर्चा और विचार-विमर्श करेंगे। बयान में कहा गया है कि बैठक के एजेंडे में ऋण उत्पाद और डिलिवरी के दक्ष मॉडल, प्रौद्योगिकी के जरिये वित्तीय सशक्तिकरण और वित्तीय क्षेत्र के स्थायित्व एवं बाजार में टिके रहने के लिए विवेकपूर्ण तौर-तरीके शामिल हैं।
बैंक ढांचागत क्षेत्र, कृषि, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) समेत स्थानीय विनिर्माण को वित्त सुविधा उपलब्ध कराकर आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बैठक में सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। प्रधानमंत्री पिछले कुछ सप्ताह से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर बैठकें कर रहे हैं और यह उसी कड़ी का हिस्सा है।
बैठक में चर्चा अर्थव्यवस्था को गति देने के इर्द-गिर्द केंद्रित रह सकती है। विभिन्न घरेलू और वैश्विक एजेंसियों ने आर्थिक वृद्धि दर में (-) 3.2 से (-) 9.5 प्रतिशत तक की गिरावट का अनुमान जताया है।
वित्त मंत्री ने एआईआईबी को भारत में राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे में निवेश का निमंत्रण दिया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीजिंग स्थित एशियाई बुनियादी ढांचा निवेश बैंक (एआईआईबी) को भारत की महत्वकांक्षी 1,400 अरब डॉलर (करीब 111 लाख करोड़ रुपए) के बुनियादी ढांचा विकास कार्यक्रम में भागीदारी का निमंत्रण दिया। सरकार कोविड-19 महामारी से प्रभावित आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए बुनियादी ढांचा विकास को गंभीरता से आगे बढ़ा रही है।
एआईआईबी के संचालन मंडल की पांचवीं सालाना बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अपने संबोधन में सीतारमण ने बैंक को प्रभावी परियोजना प्रबंधन और कार्यान्वयन में सहयोग के लिए क्षेत्रीय उपस्थिति दर्ज कराने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने बुनियादी ढांचा विकास को गति देने के लिए राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन (एनआईपी) 2020-2025 शुरू किया है। इसमें लगभग 1,400 अरब डॉलर का व्यय अनुमानित है। इससे एआईआईबी की भागीदारी के लिए नए निवेश के कई अवसर सृजित होंगे।
वित्त मंत्री ने बैंक से कुछ अपेक्षाओं का जिक्र किया, जिनमें वित्तपोषण के नए साधनों की पेशकश, 2030 तक के सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के लिए सामाजिक आधारभूत ढांचे के लिए वित्तपोषण उपलब्ध कराना और कोविड-19 संकट से उबरने को लेकर मजबूत जलवायु और टिकाऊ ऊर्जा वाले बुनियादी ढांचे के विकास का एकीकरण शामिल हैं। भारत इस बहुपक्षीय एजेंसी का संस्थापक सदस्य है और 7.65 प्रतिशत मतदान अधिकार के साथ उसके पास दूसरा सर्वाधिक वोट प्रतिशत है। वहीं 2016 में गठित एआईआईबी में चीन की हिस्सेदारी 26.63 प्रतिशत है।