नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था के तहत सभी वस्तुओं पर एक ही दर से कर लगाने की अवधारणा को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मर्सिडीज कार और दूध पर एक ही दर से कर नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत सभी वस्तुओं पर 18 प्रतिशत की एक समान दर से कर लगाने की कांग्रेस पार्टी की मांग को यदि स्वीकार किया जाता है तो इससे खाद्यान्न और कई जरूरी वस्तुओं पर कर बढ़ जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने के एक साल के भीतर ही अप्रत्यक्ष करदाताओं का आधार 70 प्रतिशत तक बढ़ गया। इसके लागू होने से चेक-पोस्ट समाप्त हो गए, इसमें 17 विभिन्न करों, 23 उपकरों को समाहित कर एक बनाया गया है। मोदी ने कहा कि जीएसटी समय के साथ बेहतर होने वाली प्रणाली है। इसे राज्य सरकारों, व्यापार जगत के लोगों और संबंध पक्षों से मिली जानकारी और अनुभवों के आधार इसमें लगातार सुधार किया गया है।
जीएसटी में केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवाकर, राज्यों में लगने वाले मूल्यवर्धित कर (वैट) तथा अन्य करों को समाहित किया गया है। इसका उद्देश्य इंस्पेक्टर राज को समाप्त करते हुए अप्रत्यक्ष करों को सरल बनाना है।
प्रधानमंत्री ने ‘स्वराज्य’ पत्रिका को दिए साक्षात्कार में कहा कि यह काफी आसान होता कि जीएसटी में केवल एक ही दर रहती लेकिन इसका यह भी मतलब होगा कि खाद्य वस्तुओं पर कर की दर शून्य नहीं होगी। क्या हम दूध और मर्सिडीज पर एक ही दर से कर लगा सकते हैं?
उन्होंने कहा कि इसलिए कांग्रेस के हमारे मित्र जब यह कहते हैं कि हमारे पास जीएसटी की केवल एक दर होनी चाहिए, उनके कहने का मतलब है कि वह खाद्य पदार्थों और दूसरी उपभोक्ता जिंसों पर 18 प्रतिशत की दर से कर लगाना चाहते हैं। जबकि वर्तमान में इन उत्पादों पर शून्य अथवा पांच प्रतिशत की दर से कर लगाया जा रहा है।
मोदी ने कहा कि आजादी के बाद से जहां 66 लाख अप्रत्यक्ष करदाता ही पंजीकृत थे वहीं एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद इन करदाताओं की संख्या में 48 लाख नए उद्यमियों का पंजीकरण हुआ है।