नई दिल्ली| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देश के खिलौना निमार्ताओं से कहा कि वे ई-बाजारों की कोशिश करें और अपने उत्पादों के विपणन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें ताकि भारतीय खिलौनों को वैश्विक स्तर पर ले जाया जा सके। भारत खिलौना मेला 2021 का उद्घाटन करने के दौरान खिलौना निमार्ताओं से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का पहला खिलौना मेला आयोजित करना सभी के लिए गर्व की बात है, और यह 'आत्मानिर्भर' बनने की दिशा में भारत की यात्रा का एक बड़ा कदम होगा।
देश के विभिन्न हिस्सों के खिलौना निमार्ताओं के साथ बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि खिलौने बच्चों के दिमाग में स्थायी प्रभाव डालते हैं, और उद्योग का प्रयास ऐसे खिलौने बनाने का होना चाहिए जो पारिस्थितिकी (इकोलॉजी) और मनोविज्ञान (साइकोलॉजी) दोनों के लिए बेहतर हों।
इस संबंध में उन्होंने कहा कि खिलौना निमार्ताओं को सुधार पर विचार करना चाहिए। उदाहरण के लिए महामारी के दौरान गुड़िया भी मास्क पहन सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के नवाचारों से एक बच्चा बहुत कुछ सीख सकता है।
मोदी ने भारतीय खिलौनों की पारंपरिक पर्यावरण-मित्रता पर भी प्रकाश डाला जो प्राकृतिक पदार्थों और रंगों का उपयोग करके बनाए गए। वर्तमान समय में भी कम नवाचार और प्रौद्योगिकी के उपयोग करके ऐसा किया जा सकता है।
उन्होंने खिलौने में कम से कम प्लास्टिक का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि खिलौनों में ऐसी चीजों का इस्तेमाल करें, जिन्हें रिसाइकल किया जा सके। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज दुनिया में हर क्षेत्र में भारतीय दृष्टिकोण और भारतीय विचारों की बात हो रही है। भारत के पास दुनिया को देने के लिए यूनिक पर्सपेक्टिव भी है। भारतीय दृष्टिकोण वाले खिलौनों से बच्चों में भारतीयता की भावना आएगी।
उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि आप सभी से बात करके ये पता चलता है कि हमारे देश के खिलौना उद्योग में कितनी बड़ी ताकत छिपी हुई है। इस ताकत को बढ़ाना, इसकी पहचान बढ़ाना, आत्मनिर्भर भारत अभियान का बहुत बड़ा हिस्सा है।
यह पहला टॉय फेयर केवल एक व्यापारिक और आर्थिक कार्यक्रम नहीं है। यह कार्यक्रम देश की सदियों पुरानी खेल और उल्लास की संस्कृति को मजबूत करने की कड़ी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस कार्यक्रम की प्रदर्शनी में कारीगरों और स्कूलों से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियां तक 30 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से एक हजार से अधिक प्रदर्शक हिस्सा ले रहे हैं। यहां एक ऐसा मंच मिलेगा, जहां खेलों के डिजाइन, इनोवेशन, मार्केटिंग, पैकेजिंग तक चर्चा, परिचर्चा तक करेंगे और अनुभव साझा करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि खिलौनों के साथ भारत का रिश्ता उतना ही पुराना है, जितना इस भूभाग का इतिहास। दुनिया के यात्री जब भारत आते थे, वे भारत में खेलों को सीखते थे और अपने यहां खेलों को लेकर जाते थे। आज जो शतरंज दुनिया में इतना लोकप्रिय है, वह पहले चतुरंग के रूप में भारत में यहां खेला जाता था। आधुनिक लूडो तब पच्चीसी के रूप में खेला जाता था। प्राचीन मंदिरों में खिलौनों को उकेरा गया है। खिलौने ऐसे बनाए जाते थे, जो बच्चों का चतुर्दिक विकास करें।