'किसान सम्मान निधि' (Pradhan mantri kisan samman Nidhi scheme) के तहत सरकार 2019 से प्रत्येक किसान के खाते में हर साल तीन किस्तों में 6000 रुपये जमा करती है। लेकिन पश्चिम बंगाल में यह योजना लागू ही नहीं है। पश्चिम बंगाल में अगले दो महीनों में चुनाव होने हैं। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के लिए बड़ा ऐलान किया है। अमित शाह ने वादा किया है कि यदि पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सरकार बनती है, तो बंगाल के 69 लाख किसानों को इस स्कीम के तहत 18000 रुपये मिलेंगे।
अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के किसानों से कहा है कि “भाजपा की सरकार बनते ही पहली ही कैबिनेट में हम पिछले 12,000 रुपये समेत इस साल के 6000 रुपये भी देंगे। यानि 18,000 रुपये आपके अकाउंट में ट्रांसफर करने का काम करेंगे।” अभी सीएम ममता बनर्जी ने इसे अपने राज्य में लागू नहीं होने दिया है। जिसके कारण बंगाल के एक भी किसान को इस स्कीम का लाभ नहीं पहुंचा है।
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69 लाख किसानों को हो सकता है फायदा
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको देखते हुए शाह का यह बयान चुनावी लॉलीपॉप कहा जा सकता है। फिलहाल, पश्चिम बंगाल (West Bengal) में पीएम किसान स्कीम चुनावी मुद्दा बन गई है। वहां के करीब 69 लाख किसानों (farmers) को 9,660 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। राज्य सरकार की रोक के बावजूद वहां के 24,41,130 किसानों ने खुद ही ऑनलाइन आवेदन किया है। चूंकि वेरिफिकेशन का काम राज्य का है, ऐसे में तकनीकी कारणों से चाहकर भी मोदी सरकार डायरेक्ट किसानों के अकाउंट में पैसा नहीं भेज पा रही है।
अमित शाह कह रहे हैं, “मोदी जी देशभर के किसानों को हर साल 6000 रुपये भेजते हैं, लेकिन ममता जी बंगाल के किसानों ने आपका क्या बिगाड़ा है?”
बंगाल के किसानों को पैसा नहीं दे रहा केंद्र : ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवा को आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा-शासित केंद्र सरकार टीएमसी प्रशासन द्वारा किसानों के नाम को प्रमाणित करने के बावजूद पीएम किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan scheme) के तहत किसानों को राशि का वितरण नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा झूठ बोल रही है कि वह किसानों को पैसा देने से मना कर रही हैं। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सरकार राज्य में किसानों को 5000 रुपये दे रही है और मुफ्त फसल बीमा का भी प्रबंधन कर रही है।
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नियमों में क्या हुआ है बदलाव
नियमों के बदलाव के तहत नया रजिस्ट्रेशन कराने वाले किसान को अपने खेत का मालिकाना हक भी दिखाना होगा। उन्हें अपने आवेदन फार्म में जमीन के प्लाट नंबर का भी जिक्र करना होगा। अगर कोई किसान परिवार की संयुक्त जमीन पर खेती कर रहा है तो उसे पहले अपने हिस्से की जमीन अपने नाम करनी होगी , मालिकाना हक दिखाने के बाद ही योजना का फायदा मिलेगा। योजना के तहत किसानों को सालाना 6000 रुपये की राशि दी जा रही है।
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किन किसानों पर पड़ेगा नए नियमों का असर
नए नियमों का असर उन किसानों पर होगा जो योजना का लाभ लेने के लिए नया रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। पहले से योजना का लाभ पाने वाले किसानों पर इस कदम का असर नहीं पड़ेगा। अगर कोई किसान अपने पिता या दादा की जमीन पर खेती कर रहा है तो उसे योजना में नया रजिस्ट्रेशन करने का मौका नहीं मिलेगा। इसके साथ ही किराए पर खेत लेकर उसमें खेती करने वाले को भी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। यानि खेत के मालिक ही इस योजना का लाभ उठा सकेंगे।
और कौन हुआ योजना के दायरे से बाहर
सरकार ने इससे पहले भी नियमों में बदलाव किए हैं, जिसके तहत टैक्स दायरे में आने वाले किसान योजना का लाभ नहीं ले सकेंगे। ऐसे किसान जो संवैधानिक पद पर हैं, उन्हें भी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। 10 हजार रुपये से अधिक की मासिक पेंशन पाने वाले पेंशनभोगियों को भी फायदे के दायरे से बाहर किया गया है।