नई दिल्ली। घरेलू खिलौना कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार खास रणनीति पर काम कर रही है। इसी पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वरिष्ठ मंत्रियों के साथ देश के खिलौना निर्माण सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए खास बैठक की। प्रधानमंत्री के मुताबिक भारत में खिलौना निर्माण करने वाले कई समूह और कारीगर हैं जो ऐसे स्वदेशी खिलौना का निर्माण कर रहे हैं, जिनका न केवल देश की संस्कृति से सीधा संबध है साथ ही वो बच्चों की क्षमताओं के विकास में काफी मददगार भी हैं। प्रधानमंत्री के मुताबिक ऐसे समूहों और कारीगरों को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत हैं और इसके लिए रचनात्मक प्रयास किए जाने चाहिए।
सरकार फिलहाल संस्कृति से जुड़े पारंपरिक खिलौनों को पहचान दिलाने के साथ साथ आधुनिक ऑनलाइन गेम्स में भारत की युवा प्रतिभा का इस्तेमाल करने के लिए विशेष रणनीति तैयार कर रही है। जिससे भारत में ही खिलौनों और गेम्स की विशाल श्रंखला तैयार की जा सके । बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय खिलौना उद्योग तकनीक और इनोवेशन पर जोर बढ़ाना होगा जिससे वो दुनिया भर के बाजारों के स्तर के मुताबिक उत्पाद बना सकें। प्रधानमंत्री के मुताबिक वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों की मदद से सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने छात्रों और युवा लोगों के लिए ऐसे इंवेंट्स पर फोकस बढ़ाने को भी कहा है जिससे खेल उद्योग से जुड़ी तकनीकों के विकास में उनकी भागेदारी भी बढ़ाई जा सके, जिसमें ऑनलाइन गेमिंग भी शामिल हो।
सरकार दो अहम वजहों से खिलौना उद्योग पर जोर बढ़ा रही है। खिलौना उद्योग में बड़ी संख्या में छोटे उद्योग और कारीगर जुड़े हैं। ये कारीगर भारतीय संस्कृति से जुड़े ऐसे खिलौनों का निर्माण भी कर रहे हैं जिनकी कला के रूप में विदेशों में मांग है। अगर इनकी पहचान स्थापित हो गई तो देश और विदेशों से बड़े पैमाने पर मांग बढ़ेगी, जिससे आय और रोजगार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। वहीं दूसरी तरफ भारत के खिलौना उद्योग पर चीन के सस्ते माल का कब्जा है। सरकार भारतीय खिलौना बाजार को चीन के प्रभाव से बाहर भी निकलना चाहती है। चीन के उत्पाद सस्ते तो हैं लेकिन उन खिलौने के बच्चों के सेहत पर असर को लेकर कई चिंताए जाहिर की जा चुकी हैं, साथ ही उनकी सस्ती कीमत भारत के पारंपरिक खिलौना कारीगरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी बना हुआ है।